नई दिल्लीः बहुत से लोग आयकर रिटर्न (ITR) भरने में देरी कर देते हैं या फिर बिल्कुल ही नहीं भरते. ऐसा कई बार जानकारी न होने या फिर लापरवाही के चलते होता है। कुछ लोगों को गलतफहमी हो जाती है कि उनके वेतन से कंपनी टैक्स काट लेती है (TDS) और उन्हें फॉर्म 16 भी दे देती है, तो उनका कोई और टैक्स नहीं बनता। उन्हें लगता है कि TDS भरना ही टैक्स रिटर्न भरने जैसा है। लेकिन ऐसा नहीं है।
आयकर रिटर्न (ITR) भरने के बारे में बहुत से लोगों को गलत जानकारी रहती है। कुछ लोगों को लगता है कि कमाई कम है तो रिटर्न भरना जरूरी नहीं। कमाई के अलावा भी कई चीजें हैं जिनके आधार पर आयकर रिटर्न भरना जरूरी हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने किसी संपत्ति को बेचा है या ज्यादा बैंक डिपॉजिट करवाए हैं तो भले ही आपकी कमाई कम हो, फिर भी आपको आईटीआर भरना पड़ सकता है।
कब भरना होता है ITR?
अगर आपकी कमाई इनकम टैक्स की छूट वाली सीमा (2.5 लाख – 60 साल से कम, 3 लाख – 60 से 80 साल के बीच, 5 लाख – 80 साल से ऊपर) से ज्यादा है तो आपको ITR भरना जरूरी है। भले ही आपकी कमाई कम हो, फिर भी आपको ITR भरना पड़ सकता है। अगर आपने एक या एक से ज्यादा चालू खातों में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा कराए हैं या फिर अपने या किसी और के लिए विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं तो आपको आईटीआर भरना पड़ता है।
इसके अलावा, 1 लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल भरा हो, या व्यापार करने वालों के लिए, अगर उनकी कुल बिक्री, कारोबार या कुल प्राप्ति 60 लाख रुपये से अधिक हो जाती है, तो ITR भरना जरूरी है। पेशेवरों के लिए, अगर उनके पेशे से होने वाली कुल प्राप्ति 10 लाख रुपये से अधिक हो जाती है, तो भी उन्हें आईटीआर भरना पड़ता है।
इसके साथ ही अगर आप पर कुल 25,000 रुपये या उससे ज्यादा टैक्स कटता है (या 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 50,000 रुपये से ज्यादा), या बचत खातों में आपकी कुल जमा राशि 50 लाख रुपये से अधिक हो जाती है, तो भी आपको ITR भरना होगा।
क्यों जरूरी है आईटीआर भरना
मान लीजिए आपने अडवांस टैक्स भर दिया है, तो भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) जरूर भरना चाहिए। आयकर रिटर्न भरने से इनकम टैक्स विभाग को पता चलता है कि आपने कितनी कमाई की है और कितना टैक्स भरा है।इससे आपके और विभाग के बीच टैक्स रिकॉर्ड का मिलान हो जाता है।
अगर आपको किसी साल में घाटा हुआ है और आप उसे अगले साल के टैक्स में घटाना चाहते हैं, तो भी आपको आयकर रिटर्न भरना जरूरी है। आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख से पहले रिटर्न भरना न भूलें। आईटीआर भरना इनकम टैक्स की खुद से जांच करने जैसा है। आप अपनी कमाई और उस पर लगने वाले टैक्स का पूरा हिसाब लगाते हैं।
तय सीमा पर आईटीआर नहीं भरने पर क्या होता है?
अगर आप तय सीमा पर आईटीआर नहीं भरते हैं तो आप पर जुर्माना लग सकता है। साथ ही, देर से भरने पर ब्याज भी लग सकता है। गंभीर मामलों में, जेल जाने की सजा भी हो सकती है।
आम तौर पर ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है। मान लीजिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारण वर्ष 2024-25 है। इस लिहाज से वित्तीय वर्ष 2023-24 का आयकर रिटर्न 31 जुलाई 2024 तक भरना जरूरी है। हालांकि, अगर आप तय समय पर आईटीआर नहीं भर पाते हैं, तो भी आप देर से जुर्माना भरकर 31 दिसंबर तक रिटर्न भर सकते हैं।
नियमों के मुताबिक, अगर आप 31 जुलाई के बाद रिटर्न भरते हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 234A के तहत हर महीने के हिसाब से 1 प्रतिशत साधारण ब्याज देना होगा। यह ब्याज 31 जुलाई के बाद वाले दिन से शुरू होकर आपके रिटर्न भरने की तारीख तक लागू होगा।
वहीं, अगर आप रिटर्न भरने की आखिरी तारीख के बाद आईटीआर भरते हैं तो आपको धारा 234F के तहत जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। जुर्माना आम तौर पर 5,000 रुपये होता है। हालांकि, अगर आपकी कुल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो जुर्माना सिर्फ 1,000 रुपये होगा।
आयकर सलाहकार कंपनी RSM इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा की मानें तो आयकर अधिनियम की धारा 276CC के तहत जानबूझकर समय पर रिटर्न नहीं भरने पर मुकदमा चलाने का प्रावधान है। मनी कंट्रोल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर 3,000 रुपये से ज्यादा रकम की टैक्स चोरी करते हैं तो आपको तीन महीने से दो साल तक की जेल हो सकती है। वहीं, अगर टैक्स चोरी की रकम 25 लाख रुपये से ज्यादा है तो ऐसे व्यक्ति को छह महीने से लेकर सात साल तक की कठोर कारावास की सजा हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।