वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने चीन समेत अन्य देशों से आयातित कुछ प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ से छूट देने की घोषणा की है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर प्रोसेसर, सेमीकंडक्टर चिप, हार्ड ड्राइव और अन्य हाईटेक उपकरण अब नए टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे। यह छूट 5 अप्रैल से प्रभावी मानी जा रही है।

इस फैसले से उन अमेरिकी टेक कंपनियों को राहत मिलेगी, जिनका बड़ा उत्पादन आधार चीन में स्थित है। उदाहरण के लिए, एप्पल के करीब 80% आईफोन चीन में बनते हैं, जबकि बाकी भारत में। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों ने चेताया था कि इन पर टैरिफ लागू होने से गैजेट्स की कीमतें आसमान छू सकती हैं। हालांकि प्रशासन ने इस छूट के पीछे कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई है।

इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयातित वस्तुओं पर कुल मिलाकर 145 प्रतिशत टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, जिसमें से 125 प्रतिशत नया रिसिप्रोकल टैक्स और 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क कथित तौर पर फेंटेनाइल की तस्करी से जुड़ी वजहों से लगाया गया था। इसके साथ ही अन्य देशों के लिए भी 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ तय किया गया था।

भारी टैरिफ ने दुनियाभर के बाजारों में मचाई हलचल

हालांकि, इन भारी शुल्कों के चलते दुनिया भर के बाजारों में हलचल मच गई थी। चार दिनों की वैश्विक शेयर बाजार गिरावट और व्यापारिक अस्थिरता के बाद ट्रंप प्रशासन को झुकना पड़ा और उसने चीन को छोड़कर अधिकांश देशों के लिए 90 दिनों के लिए टैरिफ निलंबित कर दिए।

इस आंशिक यू-टर्न के बावजूद ट्रंप प्रशासन चीन पर सख्त रुख बनाए हुए है। राष्ट्रपति ट्रंप ने दोहराया कि वे चीन को "अनुचित व्यापार व्यवहार" के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं और अगर चीन "न्यायसंगत व्यापार नियमों" का पालन नहीं करता, तो अमेरिका भी कड़ा रुख अपनाएगा।

अधिकांश उत्पाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्मित नहीं होते

टैरिफ से बाहर किए गए अधिकांश उत्पाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्मित नहीं होते। सेमीकंडक्टर, डेटा प्रोसेसिंग मशीनें, टेलीकॉम उपकरण और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड जैसे सामानों का निर्माण अमेरिका में बेहद सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हाईटेक उत्पादों का घरेलू उत्पादन खड़ा करने में वर्षों लग सकते हैं।

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को जहां उपभोक्ताओं के लिए राहत माना जा रहा है, वहीं विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रशासन की रणनीति में संतुलन बनाने की कोशिश है- जहां एक ओर चीन पर दबाव बनाए रखना है, वहीं घरेलू महंगाई को भी काबू में रखना है।

हालांकि रिपोर्टों के अनुसार, यह छूट अस्थायी हो सकती है और निकट भविष्य में इन उत्पादों पर अलग तरह के, शायद कम दर वाले, शुल्क लगाए जा सकते हैं।