अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रस्ताव 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' के तहत अमेरिका से विदेशों में भेजी जाने वाली रकम (रेमिटेंस) पर 5% टैक्स लगाने की बात कही गई है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इसका बड़ा असर भारत पर पड़ सकता है, क्योंकि भारत अमेरिकी रेमिटेंस पाने वाले देशों में सबसे आगे है।
यह बिल उन गैर-अमेरिकी नागरिकों पर लागू होगा, जो अमेरिका में रहते हुए अपने देश पैसा भेजते हैं। इसमें एच-1बी जैसे वीजा धारक भी शामिल होंगे, जो भारत में अपने परिवारों को पैसा भेजते हैं।
रेमिटेंस में भारत को सबसे ज्यादा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक, 2023-24 में अमेरिका से भारत को कुल रेमिटेंस का 27.7% हिस्सा मिला, जो 2020-21 में 23.4% था। यह आंकड़ा बताता है कि अमेरिका में नौकरी की स्थिति बेहतर हो रही है।
अमेरिका की श्रम शक्ति में 2022 में विदेशी मूल के कामगारों की हिस्सेदारी 6.3% रही, जो 2019 के 0.7% से कहीं ज्यादा है। इसके मुकाबले, वहां के मूल नागरिकों की हिस्सेदारी लगभग समान रही। अमेरिका में रहने वाले 78% भारतीय प्रवासी उच्च वेतन वाले क्षेत्रों- जैसे प्रबंधन, बिजनेस और विज्ञान- में काम करते हैं।
आरबीआई के अनुसार, 2010-11 में भारत को कुल रेमिटेंस 55.6 अरब डॉलर मिला था, जो 2023-24 में बढ़कर 118.7 अरब डॉलर हो गया। इसमें से करीब 33 अरब डॉलर सिर्फ अमेरिका से आया। अगर ट्रंप का बिल पास हो गया, तो भारत को करीब 1.65 अरब डॉलर (लगभग 13,800 करोड़ रुपये) की रेमिटेंस का नुकसान हो सकता है।
रेमिटेंस टैक्स कैसे काम करेगा?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शाइनविंग इंडिया के टैक्स विशेषज्ञ सौरव सूद ने कहा कि जो भारतीय एनआरआई अमेरिका के नागरिक नहीं हैं, उन्हें पैसा भेजते समय 5% टैक्स देना होगा। इसका मतलब है कि अगर कोई 100 डॉलर भेजेगा तो सिर्फ 95 डॉलर भारत पहुंचेगा, और 5 अमेरिकी डॉलर सरकार को टैक्स के तौर पर चला जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि यह टैक्स भारत में भेजने वाले व्यक्ति को टैक्स क्रेडिट के तौर पर वापस मिलेगा या नहीं।
भारत के लिए क्यों अहम है रेमिटेंस?
आरबीआई ने कहा है कि भारत को मिलने वाली रेमिटेंस आमतौर पर भारत में आने वाले एफडीआई से भी ज्यादा रही है। कोविड-19 के दौरान 2020-21 में इसमें 3.6% की गिरावट आई थी, लेकिन उसके बाद यह तेजी से बढ़ी है। 2021-22 से 2023-24 तक औसतन हर साल इसमें 14.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
Statista के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में 54 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं, जिनमें से 33 लाख से अधिक व्यक्ति "पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन" कैटेगरी में आते हैं।
विश्व बैंक के मुताबिक, 2024 में भारत को रिकॉर्ड 129.4 अरब डॉलर का रेमिटेंस (प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजा गया धन) मिला। यह पैसा गांवों में घर बनाने, बच्चों की पढ़ाई, इलाज और छोटे कारोबार शुरू करने जैसे जरूरी कामों में इस्तेमाल होता है।
अब अगर अमेरिका से भेजे जाने वाले पैसों पर 5% टैक्स लग गया, तो प्रवासी भारतीय कम रकम भेजेंगे, जिससे लाखों भारतीय परिवारों की आमदनी पर असर पड़ेगा। इससे न केवल भारत बल्कि उन तमाम विकासशील देशों को भी झटका लगेगा जो अमेरिकी रेमिटेंस पर निर्भर हैं।
'3.9 ट्रिलियन डॉलर के खर्च की भरपाई करने में मदद मिलेगी'
बिल लाने वाले रिपब्लिकन नेताओं का दावा है कि इससे अमेरिका को 3.9 ट्रिलियन डॉलर के खर्च की भरपाई करने में मदद मिलेगी। इस रकम का इस्तेमाल ट्रंप के दौर की टैक्स छूटों को दोबारा लागू करने के लिए किया जाएगा।
हालांकि, विरोधियों का कहना है कि इस बिल के जरिए अमेरिका में मेहनतकश मजदूरों को राहत दी जा रही है, लेकिन वहीं अपने परिवार को विदेश में पैसा भेजने वालों को सजe दी जा रही है।
आगे क्या होगा?
बिल को 26 मई तक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में पास कराने की तैयारी है। इसके बाद 4 जुलाई- जो अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस है- तक इसे कानून बनाने की कोशिश होगी। अगर यह बिल पास हो गया, तो जुलाई से अमेरिका से विदेश पैसे भेजने पर 5 फीसदी की सीधी कटौती शुरू हो सकती है।