अदानी पोर्ट्स को 108 हेक्टेयर जमीन आवंटन का क्या है मामला? सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया

यह मामला 2005 का है, जब अदानी पोर्ट्स को ये 108 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास स्थित है। 2010 में, जब अदानी पोर्ट्स एंड सेज (APSEZ) ने जमीन की घेराबंदी शुरू की, तो वहां के नवीनाल गांव के निवासियों ने जनहित याचिका दायर कर दी।

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No Bribery Charges Against Gautam Adani In US DoJ indictment: Adani Group

अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदानी (फोटो- IANS)

नई दिल्लीः अदानी पोर्ट्स के लिए बड़ी राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मुंद्रा बंदरगाह (कच्छ जिले) के पास अडानी पोर्ट्स को दी गई 108 हेक्टेयर चारागाह की जमीन वापस लेने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

अदानी समहू की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट ने कंपनी को सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश पारित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, "नोटिस जारी करें और आरोपित आदेश पर रोक लगाएं।"

पीठ ने कहा कि न्याय के हित में आदेश पर रोक लगाना आवश्यक है। हाईकोर्ट ने 5 जुलाई को राज्य सरकार को यह जमीन वापस लेकर कच्छ गांव को सौंपने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात राज्य के राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के हलफनामे पर गौर करते हुए हम संबंधित प्राधिकारी/अधिकारियों से कानून के अनुसार बहाली की प्रक्रिया पूरी करने की अपेक्षा करते हैं।"

19 साल पुराना है मामला

यह मामला 2005 का है, जब अदानी पोर्ट्स को ये 108 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास स्थित है। 2010 में, जब अदानी पोर्ट्स ने जमीन पर बाड़ लगाना शुरू किया तो वहां के नवीनाल गांव के निवासियों ने जनहित याचिका दायर कर दी।

उन्होंने हाईकोर्ट में 231 हेक्टेयर चारागाह भूमि अडानी पोर्ट्स को आवंटित करने को चुनौती दी। उनका कहना था कि गांव में चारागाह की कमी है और इस आवंटन से उनके पास सिर्फ 45 एकड़ जमीन ही रह जाएगी।

ग्रामीणों का क्या था कहना?

2014 में, राज्य सरकार द्वारा चारागाह के लिए 387 हेक्टेयर सरकारी जमीन देने का आदेश पारित करने के बाद अदालत ने मामले का निपटारा कर दिया था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, तो अवमान याचिका दायर की गई। 2015 में, राज्य सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की और अदालत को बताया कि गांव पंचायत को आवंटित करने के लिए केवल 17 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है।

राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वह शेष जमीन करीब 7 किलोमीटर दूर आवंटित कर सकती है। ग्रामीणों ने इसे अस्वीकार कर दिया, उनका कहना था कि मवेशियों को चरने के लिए यह बहुत दूर है। इस साल अप्रैल में, अदालत ने एक वरिष्ठ राजस्व अधिकारी से समाधान निकालने को कहा। अधिकारी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार ने 2005 में अदाणी पोर्ट्स को आवंटित की गई लगभग 108 हेक्टेयर भूमि अब वापस लेने का फैसला किया है।

 

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