नई दिल्ली: सेबी ने अपने कर्मचारियों से संबंधित एक विवादास्पद प्रेस विज्ञप्ति को वापस ले ली है। इस प्रेस रिलीज को मकान किराया भत्ता (एचआरए) और कार्यस्थल संस्कृति के संबंध में कर्मचारियों की शिकायतों के जवाब में जारी किया गया था।
चार सितंबर 2024 को इस प्रेस रिलीज को जारी किया गया था। इसमें सेबी ने दावा किया था कि उसके जूनियर अधिकारियों को एचआरए और ऑफिस के कल्चर से संबंधित मुद्दों पर “बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह” किया गया है।
हालांकि इसके जारी होने के बाद पांच सितंबर को सेबी के मुख्यालय के बाहर कर्मचारियों का भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। इसके बाद नियामक ने 16 सितंबर को इस प्रेस रिलीज को वापस ले लिया है। सोमवार को सेबी ने बयान जारी कर कहा है कि इस तरह के मुद्दों को आंतरिक रूप से संभाला जाएगा।
500 सेबी अधिकारियों ने की थी शिकायत-रिपोर्ट
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था इसी साल अगस्त में सेबी के लगभग 500 से अधिक ग्रेड ए अधिकारियों ने ऑफिस के खराब कल्चर और संस्कृति को लेकर सरकार से इसकी शिकायत की थी।
दावा है कि इन लोगों ने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि मीटिंगों में चिल्लाना, डांटना, सार्वजनिक अपमान करना और दुर्व्यवहार जैसी चीजें आम बात है।
अधिकारियों को उसकाने के लगाए गए थे आरोप
इस रिपोर्ट पर सेबी ने चार सितंबर को एक प्रेस रिलीज जारी किया था। सेबी ने कहा था कि भारी संख्या वाले उसके जूनियर अधिकारियों को एचआरए और अन्य मुद्दों के बारे में उन्हें गुमराह किया गया है जिसमें बाहरी ताकतों का हाथ है।
प्रेस रिलीज में आगे कहा था कि अधिकारियों को बाहरी ताकत उनकी शिकायत को लेकर मीडिया, बोर्ड और सरकार के पास जाने के लिए उन्हें उसका रही हैं।
विरोध प्रदर्शन में अधिकारियों ने की थी यह मांग
इसके बाद पांच सितंबर को अधिकारियों द्वारा सेबी के मुख्यालय के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन देखा गया था। प्रदर्शनकारियों ने मांग की थी कि प्रेस रिलीज को तुरंत वापस लिया जाए और चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अपने पद से इस्तीफा दें।
अधिकारियों का आरोप था कि सेबी चेयरपर्सन ने उन पर बाहरी ताकतों से प्रभावित होना का झूठा आरोप लगाया है।
प्रेस रिलीज वापस लेने के बाद सेबी ने क्या कहा
प्रेस रिलीज के करीब 10 दिन बाद सेबी ने बयान जारी कर कहा है कि पांच सितंबर को जारी प्रेस रिलीज को वापस लिया जाता है। सोमवार को जारी बयान में सेबी ने भारत के प्रतिभूति बाजार को आकार देने में अपने कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी स्वीकार किया है।
नियामक ने यह भी कहा है कि कर्मचारियों की समस्या को आंतरिक चैनलों के माध्यम से हल किया जाएगा। साथ में इस बात पर भी जोर दिया है कि कर्मचारियों के मुद्दे को शासन मानकों के तहत और एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर संबोधित किया जाएगा।
सेबी की अध्यक्ष पर लगे हैं ये भी आरोप
नियामक ने भीतरी जानकारियों को बाहर आने पर इसकी निंदा की है। सेबी प्रबंधन और कर्मचारी प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हुई है जो आगे चलकर इन मुद्दों को आंतरिक रूप से प्रबंधित करने पर सहमत हुए है।
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को इस तरह की चुनौतियों का सामना तब करना पड़ रहा है जब इससे पहले वे अन्य चुनौतियों से घिर चूंकी हैं। इससे पहले सेबी की अध्यक्ष और उनके पति धवल बुच पर अदानी समूह के साथ कारोबारिक रिश्ते रखने के आरोप लगे हैं। इस मामले में माधबी पुरी बुच को सफाई भी देनी पड़ी थी।