नई दिल्ली: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) एक अहम कदम माना जा रहा है। ब्रिटेन दौरे पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम किएर स्टार्मर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसका द्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को व्यापक रूप से बढ़ाना है। इससे ब्रिटेन से आयातित वस्तुओं की अधिक किफायती कीमतों पर भारत में मिलने की संभावना है। साथ ही भारतीय प्रोडक्ट के लिए भी और बड़े स्तर पर ब्रिटेन में बाजार खुलेगा।
यह समझौता ब्रिटेन को लगभग 99% भारतीय निर्यातों के लिए शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करता है, साथ ही भारत द्वारा कई ब्रिटिश उत्पादों पर टैरिफ में भारी कटौती भी लागू किया जाएगा। इस पारस्परिक कमी से भारतीय खरीदारों के लिए उपलब्ध कई वस्तुओं की कीमतों में प्रत्यक्ष रूप से कमी आने की उम्मीद है।
भारत में क्या कुछ होगा सस्ता?
ब्रिटिश व्हिस्की के काम में होगी कमी: भारत में जिन चीजों के दामों में कमी आएगी, उसमें एक अहम वस्तु स्कॉच व्हिस्की है। वर्तमान में इस पर 150% का भारी आयात शुल्क है। FTA समझौते के लागू होने पर यह टैरफ 75% तक आ जाएगा। यही नहीं, यह टैरिफ एक दशक में धीरे-धीरे घटकर केवल 40% रह जाएगा। शुल्क में यह महत्वपूर्ण कमी प्रीमियम ब्रिटिश व्हिस्की को भारतीय उपभोक्ताओं के लिए और भी सुलभ और प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध कराएगी।
सस्ते कार: भारतीय उपभोक्ताओं को ऑटोमोटिव क्षेत्र में भी काफी फायदा होगा। खासकर ब्रिटेन में निर्मित लग्जरी और उच्च-स्तरीय गाड़ियां सस्ती मिलेंगी। कुछ ब्रिटिश निर्मित कारों पर सीमा शुल्क, जो वर्तमान में 100% से ज्यादा है, वो कोटा प्रणाली के तहत नाटकीय घटकर सिर्फ 10% तक आ सकता है।
इससे जगुआर लैंड रोवर, बेंटले और रोल्स-रॉयस जैसे लोकप्रिय ब्रांड कहीं ज्यादा किफायती हो जाएँगे। इससे भारत के लग्जरी कार बाज़ार में संभावित रूप से बदलाव आएगा। हालाँकि इन कटौतियों के लिए सटीक कोटा विवरण और समय-सीमा बाद में स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन इसका उद्देश्य कीमतों में काफी कमी लाना है।
सौंदर्य प्रसाधन, उपभोक्ता वस्तुएँ: FTA कई अन्य ब्रिटिश उत्पादों को और भी सुलभ और किफायती बनाएगा। कम टैरिफ के कारण, जाने-माने ब्रिटिश ब्रांडों के कॉस्मेटिक्स की कीमतें और भी कम होने की उम्मीद है। इसी तरह, ब्रिटेन में बनी चॉकलेट, बिस्कुट और शीतल पेय जैसी रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं पर भी आयात शुल्क कम किया जाएगा। इससे भारतीय परिवारों के लिए अधिक विकल्प और संभावित रूप से कम कीमतें उपलब्ध होंगी।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी लाभ: स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आयात शुल्क में कमी के कारण, उन्नत ब्रिटिश चिकित्सा उपकरण और हेल्थ-टेक उपकरण भारतीय उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए अधिक सुलभ हो जाएँगे। इससे विशेष चिकित्सा उपकरणों और इससे जुड़ी प्रौद्योगिकियों की अधिक किफायती दरों पर व्यापक उपलब्धता हो सकती है।
भारत के लिए भी बड़ा फायदा
भारत के लिहाज से देखें तो किसानों, श्रमिकों और निर्यातकों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। समझौते के तहत भारत के समुद्र उत्पाद, चमड़, रत्न-अभूषण, फर्नीचर, खेल सामग्री, टेक्सटाइल और परिधान, केमिकल्स और बेस मेटल्स जैसे उत्पादों पर ब्रिटेन में कोई टैरिफ नहीं लगेगा। इससे भारतीय उत्पाद ज्यादा सस्ती दरों में ब्रिटेन की बाजारों में उपलब्ध होंगे।
भारत भी ब्रिटिश वस्तुओं के लिए अपनी लगभग 90% टैरिफ लाइनों पर टैरिफ कम करने या समाप्त करने पर सहमत हो गया है, जिससे इनमें से लगभग 85% उत्पाद दस वर्षों की अवधि में पूरी तरह से टैरिफ-मुक्त हो जाएँगे। ब्रिटिश उत्पादों पर औसत आयात शुल्क में लगभग 15% से 3% तक की यह व्यापक कमी, व्यापार को बढ़ावा देने और भारतीय उपभोक्ताओं को अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण ब्रिटिश उत्पाद उपलब्ध कराने का मौका देगी।