जुलाई में भारत में खुदरा महंगाई कम होकर आठ वर्षों के निचले स्तर पर

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की खुदरा महंगाई दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसकी वजह मानसून की स्थिर प्रगति और खरीफ की अच्छी बुवाई से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है।

inflation eases, India's wholesale price inflation eases to 2.31 per cent

Photograph: (ग्रोक)

नई दिल्ली: भारत में खुदरा महंगाई जुलाई में कम होकर 1.55 प्रतिशत हो गई है। यह महंगाई का 8 वर्षों (जून 2017) का सबसे निचला स्तर है। महंगाई में कमी आने की वजह खाद्य उत्पादों की कीमतें कम होना है। यह जानकारी सरकार की ओर से मंगलवार को दी गई।  

इससे पहले जून में खुदरा महंगाई दर 2.1 प्रतिशत थी, जो कि जनवरी 2019 के बाद से न्यूनतम स्तर था। सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य महंगाई दर घटकर -1.76 प्रतिशत रही। यह जनवरी 2019 के बाद खाद्य महंगाई दर का सबसे निचला स्तर है। जून के मुकाबले, इसमें 0.75 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

दाल, सब्जियों, अनाज, अंडे की महंगाई दर में कमी 

जुलाई 2025 के दौरान मुख्य महंगाई दर और खाद्य महंगाई दर में बड़ी गिरावट मुख्य रूप से अनुकूल आधार प्रभाव और दालों, सब्जियों, अनाज, अंडे और चीनी की महंगाई दर में कमी के कारण है।

परिवहन, संचार और शिक्षा की लागत में कमी के कारण भी महंगाई दर कम हुई है। इसके अलावा, जुलाई के दौरान हाउसिंग महंगाई में भी मामूली गिरावट आई है।

वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की खुदरा महंगाई दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसकी वजह मानसून की स्थिर प्रगति और खरीफ की अच्छी बुवाई से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा, "2025-26 के लिए महंगाई का पूर्वानुमान जून में की गई अपेक्षा से अधिक नरम हो गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति, अच्छी खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों ने इस नरमी में योगदान दिया है।"

हालांकि, प्रतिकूल आधार प्रभावों और नीतिगत कदमों से उत्पन्न मांग संबंधी कारकों के प्रभाव में आने के कारण, खुदरा महंगाई 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि इनपुट कीमतों पर किसी भी बड़े नकारात्मक प्रभाव को छोड़कर, वर्ष के दौरान मुख्य महंगाई दर 4 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहने की संभावना है।

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