नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट कटौती का ऐलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट तत्काल प्रभाव से 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, 'मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों से घटाकर 6% करने के लिए मतदान किया।' इस दौरान गवर्नर ने वैश्विक विकास के लिए नई चुनौतियों की ओर इशारा भी किया।

आरबीआई ने बुधवार को लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। केंद्रीय बैंक के इस फैसले से  अमेरिका की ओर से लगाए गए पारस्परिक शुल्कों से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद बढ़ी है। ब्याज दरों में कटौती के बाद प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत हो गई। इस कदम से आवास, ऑटो और कॉर्पोरेट ऋण लेने वालों को राहत मिली।

आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख में किया बदलाव 

इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को 'न्यूट्रल' से बदलकर 'अकोमोडेटिव' कर दिया है। अकोमोडेटिव का मतलब है कि केंद्रीय बैंक आने वाले समय में मौद्रिक नीति का नरम रुख जारी रख सकता है। आरबीआई गवर्नर के मुताबकि, वित्त वर्ष 26 में महंगाई दर 4 प्रतिशत पर रह सकती है। यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशथ और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि मौजूदा समय में महंगाई लक्ष्य के नीचे बनी हुई है। इसकी वजह खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट आना है। उन्होंने आगे कहा, "अगले साल महगांई दर आरबीआई के लक्ष्य 4 प्रतिशत के अनुरूप रह सकती है।" गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि देश में निवेश गतिविधियों में तेजी जारी है। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़त देखने को मिल रही है। साथ ही बताया कि शहरी खपत में भी बढ़त देखी जा रही है।

आखिरी मीटिंग में आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती

इससे पहले चालू वित्त वर्ष यानी 2024-25 की आखिरी मीटिंग में आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया। ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।

केंद्रीय बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट घटने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों के लोन सस्ता मिलता है, तो वो इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलता है, वो इसलिए क्योंकि बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता में छह सदस्य

बता दें, गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता वाली आरबीआई की एमपीसी में छह सदस्य हैं जिनमें से तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं। इससे पहले अक्टूबर में केंद्र ने तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की थी। नए सदस्य सौगत भट्टाचार्य, अर्थशास्त्री हैं; डॉ. नागेश कुमार, निदेशक और मुख्य कार्यकारी, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान; और प्रोफेसर राम सिंह, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय।

तीन आंतरिक सदस्य चेयरपर्सन संजय मल्होत्रा, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक डॉ राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव हैं। बता दें कि मार्च में ही आरबीआई ने बैठक का शेड्यूल जारी किया था। इसमें स्पष्ट किया गया कि छह बैठकें होंगी। पहली 7-9 अप्रैल, दूसरी 4 से 6 जून, तीसरी 5 से 7 अगस्त, चौथी 29 सितंबर से 1 अक्टूबर, पांचवीं 3 से 5 दिसंबर और छठी बैठक 4 से 6 फरवरी, 2026 को निर्धारित है।