नई दिल्ली: भारतीयों के लिए क्रेडिट स्कोर निर्धारित करने वाली कंपनी सिबिल, ऑनलाइन यूजर्स और संसद में सवाल उठने के बाद जांच के घेरे में है।  तमिलनाडु के सांसद कार्ति पी चिदंबरम ने हाल ही में लोकसभा को बताया कि इस प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है और उधारकर्ताओं के पास अपने क्रेडिट इतिहास में गलतियों के विरुद्ध अपील करने का कोई रास्ता नहीं है।

इसकी साथ ही, कुछ यूजर्स ने शिकायत की है कि सिबिल स्कोर चेक करने के बाद, उन्हें बजाज फाइनेंश और पैसाबाजार आदि से बड़ी संख्या में स्पैम कॉल का सामना करना पड़ता है। चिदंबरम ने कहा कि कार लोन से लेकर होम लोन तक हर लोन आवेदन सिबिल स्कोर पर निर्भर करता है, लेकिन इस संस्था के काम करने के तरीके के बारे में बहुत कम जानकारी है।

उन्होंने कहा, "यह वास्तव में एक निजी कंपनी है, जिसका नाम ट्रांसयूनियन है। यह वह कंपनी है जो हम सभी की क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर रेटिंग करती है। लेकिन हमें नहीं पता कि वे हमारी क्रेडिट हिस्ट्री को ठीक से अपडेट कर रहे हैं या नहीं। इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है। हमारे पास अपील करने का कोई रास्ता नहीं है।"

'लोगों को करना पड़ता है मुश्किलों का सामना'

सांसद ने कहा कि कई किसानों और कर्जदारों को तब समस्याओं का सामना करना पड़ता है जब सब्सिडी या कर्ज निपटान के जरिए किए गए भुगतान उनके क्रेडिट रिकॉर्ड में अपडेट नहीं होते।

उन्होंने कहा, "हर बार जब हम बैंक जाते हैं, तो हमें बताया जाता है कि हमारा स्कोर खराब है। इसमें अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए।"

सिबिल स्कोर को लेकर ऑनलाइन भी चर्चा की जा रही है। एक व्यक्ति ने ऑनलाइन लिखा कि अपना सिबिल स्कोर जांचने और दो क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के बाद, उन्हें बजाज फाइनेंस से प्री-अप्रूव्ड लोन की पेशकश करने वाले लगातार कॉल आने लगे। एक अन्य यूजर ने बताया कि जब से उन्होंने पैसाबाजार पर अपना स्कोर जांचा है, तब से उन्हें स्पैम कॉल आ रहे हैं।