नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में वेतनभोगी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। अब टैक्स-फ्री आय सीमा 12 लाख रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ जोड़ने से यह छूट बढ़कर 12.75 लाख रुपये तक हो जाती है।

लेकिन एक तरीका ऐसा भी है जिससे इसे और बढ़ाकर 13.7 लाख रुपये तक टैक्स-फ्री किया जा सकता है, और यह संभव है नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के जरिये।

NPS से टैक्स बचत कैसे करें?

पिछले साल सरकार ने नियोक्ता (Employer) के NPS योगदान पर कटौती की सीमा 10% से बढ़ाकर 14% कर दी थी। इस बदलाव का फायदा उठाकर, 13.7 लाख रुपये सालाना वेतन पाने वाले कर्मचारी की टैक्स देनदारी शून्य हो सकती है।

कैसे काम करता है यह फॉर्मूला?

अगर आपकी बेसिक सैलरी कुल वेतन की 50% है, तो यह इस मामले में 6.85 लाख रुपये होगी। आपके नियोक्ता का एनपीएस योगदान (14% के हिसाब से) 95,900 रुपये होगा। इसमें अगर ₹75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़ दें। कुल कटौती 1,70,900 रुपये हो जाएगी।

इस तरह आपकी कर योग्य आय घटकर 11,99,100 रुपये रह जाएगी, जो कि 12 लाख रुपये की टैक्स-फ्री सीमा के अंदर आती है। लेकिन इसमें कुछ समस्याएं भी हैं। 

हर कंपनी 14% एनपीएस योगदान नहीं देती – अभी तक सभी कंपनियों ने इस नीति को लागू नहीं किया है। एनपीएस में लॉक-इन पीरियड लंबा है– कई कर्मचारी इसे चुनने से हिचकिचाते हैं क्योंकि इसमें लंबी अवधि तक पैसा फंसा रहता है।

पूरे पैसे की तुरंत निकासी संभव नहीं – सेवानिवृत्ति के समय केवल 60% राशि ही निकाली जा सकती है, बाकी 40% से वार्षिकी (Annuity) खरीदना अनिवार्य है, जिससे पैसा पूरी तरह से हाथ में नहीं आता।

कौन उठा सकता है इसका फायदा?

अगर आपके नियोक्ता 14% एनपीएस योगदान की सुविधा देते हैं, तो यह टैक्स बचाने का बेहतरीन तरीका हो सकता है। लेकिन अगर आपकी कंपनी यह विकल्प नहीं देती या आप लंबे लॉक-इन को पसंद नहीं करते, तो यह आपके लिए सही रणनीति नहीं हो सकती।