वॉशिंगटनः पीएनबी घोटाले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के छोटे भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से की गई प्रत्यर्पण की मांग के बाद हुई है।
अधिकारियों के मुताबिक, नेहाल मोदी को 4 जुलाई को हिरासत में लिया गया और अमेरिकी अधिकारियों ने भारत सरकार को औपचारिक रूप से इसकी सूचना दे दी है। प्रत्यर्पण प्रक्रिया में अगली सुनवाई 17 जुलाई को तय की गई है, जिसमें नेहाल जमानत की याचिका दायर कर सकता है, लेकिन अमेरिकी अभियोजकों द्वारा इसका विरोध किए जाने की संभावना है।
नेहाल मोदी, जो बेल्जियम का नागरिक है, उस बहुचर्चित पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का एक मुख्य आरोपी है जिसमें करीब 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी। इस घोटाले में नीरव मोदी, उनके मामा मेहुल चोकसी और नेहाल मोदी समेत कई लोगों पर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के जरिए बैंकों से कर्ज लेने का आरोप है।
सीबीआई-ईडी जांच में क्या पता चला?
सीबीआई और ईडी की जांच में सामने आया है कि नेहाल मोदी ने अपने भाई नीरव मोदी की अवैध गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई। उस पर आरोप है कि उसने करोड़ों रुपये के काले धन को छिपाने और विदेशों में शेल कंपनियों के माध्यम से स्थानांतरित करने का काम किया। साथ ही, सबूत मिटाने और झूठे दस्तावेजों के ज़रिए जांच को भटकाने की कोशिश करने का भी आरोप है। उसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 3 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करने) के तहत आरोपी बनाया गया है।
जांच एजेंसियों का दावा है कि पीएनबी घोटाले के सामने आने के बाद नेहाल मोदी और नीरव के करीबी सहयोगी मिहिर भानसाली ने दुबई से 50 किलो सोना और बड़ी मात्रा में नकदी भारत से बाहर भेजी। उन्होंने फर्जी कंपनियों के निदेशकों को भी निर्देश दिए कि वे जांच एजेंसियों से नेहाल का नाम छिपाएं।
नीरव मोदी पहले ही ब्रिटेन की अदालत द्वारा आर्थिक भगोड़ा घोषित किया जा चुका है, लेकिन वह फिलहाल लंदन की एक जेल में बंद है और भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को अदालतों में अपीलों के जरिए टाल रहा है। वहीं, उसके मामा मेहुल चोकसी को हाल ही में बेल्जियम के एंटवर्प शहर में भारत की प्रत्यर्पण मांग के बाद हिरासत में लिया गया। नेहाल मोदी की गिरफ्तारी भारत के लिए कूटनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर एक अहम सफलता मानी जा रही है।