भारत और चीन के बीच बढ़ते कारोबार को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है।
हालांकि पिछले दो वित्तीय वर्षों में इस स्थान पर अमेरिका था, जबकि वित्तीय वर्ष 2021 (FY21) में इस जगह पर चीन का कब्जा था।
ये आंकड़े बताते हैं कि कीमती सामानों के लिए कैसे भारत आज भी चीन पर निर्भर है और इसका आयात तेजी से बढ़ रहा है, जबकि इसके निर्यात में कोई खास बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। यही हाल रूस के साथ भी है।
वहां भारत का आयात बढ़ रहा है, जबकि निर्यात में कमी आई है। बता दें कि पिछले कुछ सालों से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होने के बाद भारत ने चीन से व्यापार कम कर दिया था और स्वदेशी सामानों पर ज्यादा ध्यान दिया था। इससे आयात और निर्यात पर काफी असर भी पड़ा था।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है
भारत चीन व्यापार पर थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 में चीन ने बड़ी छलांग लगाई है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
वित्त वर्ष 2023 की तुलना में यह आयात 3.24 फीसदी बढ़कर 101.7 बिलियन डॉलर और निर्यात 8.7 फीसदी बढ़कर 16.67 बिलियन डॉलर हो गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले पांच सालों में चीन को भारत के निर्यात में 0.6 फीसदी की मामूली गिरावट देखी गई है और यह घटकर 16.66 बिलियन डॉलर हो गया है। वहीं दूसरी ओर आयात में इजाफा देखा गया है जो 44.7 फीसदी से बढ़कर 101.75 बिलियन डॉलर हो गया है।
अमेरिका की अगर बात करें तो वित्त वर्ष 2024 में भारत के साथ इसका दोतरफा व्यापार 118.3 बिलियन डॉलर रहा है। इसमें निर्यात 1.32 फीसदी से घटकर 77.5 बिलियन डॉलर और आयात 20 फीसदी से घटकर 40.8 बिलियन डॉलर रहा है।
भारत इन चीजों के लिए चीन पर है ज्यादा निर्भर
जीटीआरआई रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत कई ऐसे चीजों के लिए चीन पर अभी भी निर्भर रहता है। दूरसंचार और स्मार्टफोन पार्ट्स, फार्मा और एडवांस टेक्नोलॉजी के कंपोनेंट्स जैसी कुछ चीजें हैं जो भारत चीन से भारी संख्या में आयात करता है।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि कैसे भारत चीन पर निर्भरता को कम कर रहा है। इसके लिए भारत ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई), एंटी-डंपिंग शुल्क और गुणवत्ता नियंत्रण उपायों जैसी योजनाएं भी शुरू की गई है।
इन सब के अलावा भारत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में भी चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है और यहां से भारी संख्या में लिथियम-आयन बैटरी का निर्यात करता है।
अन्य देशों के साथ कैसा है भारत का कारोबार
चीन के साथ जहां भारत का निर्यात स्थिर बना हुआ है, वहीं पिछले कुछ समय से इसका आयात काफी बढ़ा है, जिससे देश के व्यापार घाटा पर भी असर पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत रूस से आयात अधिक कर रहा है, जबकि इसके निर्यात में कमी आई है।
यही हाल संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी है, जहां से भारत का आयात ज्यादा है निर्यात में कमी देखी गई है। वहीं अगर बात करें सऊदी अरब की तो यहां पर भारत का निर्यात बढ़ा है जबकि आयात में कमी देखी गई है।