ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों के डूबे 7 लाख करोड़

भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली। इस गिरावट के पीछे अमेरिकी डॉलर की मजबूती के साथ-साथ कई और घरेलू कारक माने जा रहे हैं।

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भारतीय शेयर बाजार में दर्ज की गई भारी गिरावट, फोटोः आईएएनएस

मुंबईः भारतीय शेयर बाजार में 21 जनवरी को भारी गिरावट देखने को मिली है। यह गिरावट घरेलू कारकों के साथ-साथ वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण भी दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) 1200 अंकों की गिरावट के साथ 75,838.36 के निचले स्तर पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी में भी 320 अंकों की गिरावट देखी गई। इस गिरावट के बाद निफ्टी 23,024.65 पर पहुंच गया। हालांकि बाद में दोनों ही सूचकांकों ने कुछ सुधार दिखाई दिया लेकिन निवेशकों की धारणा शेयर बाजार में नरम रही।

रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी पोर्ट्स, एनटीपीसी, एसबीआई बैंक, आईसीआईसीआई बैंक के साथ जोमैटो के शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। इन कंपनियों के निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।

शेयर बाजार में सिर्फ अल्ट्रा टेक सीमेंट और एचसीएल के शेयरों में हल्का मुनाफा दर्ज किया गया। वहीं, एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनीलिवर के शेयर में कुछ खास फर्क देखने को नहीं मिला।

निवेशकों के डूबे 7 लाख करोड़

शेयर बाजार में हुई इस बिकवाली के कारण निवेशकों के करीब 7 लाख करोड़ रूपये डूब गए। बीएसई के तहत दर्ज कंपनियों की कीमत 431 लाख करोड़ रूपये से गिरकर 424 लाख करोड़ रूपये हो गई।

मिडकैप और स्मालकैप के स्टॉक भी बुरी तरह प्रभावित हुए। इस वजह से दोनों ही सूचकांक 2 प्रतिशत से नीचे गिर गए। शेयर बाजार में आई इस गिरावट के कई कारण बताए गए हैं, जिनके बारे में बिंदुवार चर्चा करेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति में अनिश्चितता

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। इसके बाद उन्होंने 31 अध्यादेश जारी किए हैं। इसके साथ ही ट्रंप ने मैक्सिको
और कनाडा के लिए व्यापार शुल्क योजना के बारे में भी बात की।

भारत समेत कई देशों पर अधिक व्यापार शुल्क लगाने के उनके बयानों का असर शेयर बाजार पर दिख रहा है। इसके साथ ही ट्रंप के अप्रवासन नीति की अनिश्चितताओं पर उनकी अस्पष्ट रुख ने लोगों की चिंता बढ़ाई है। भारतीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसका गहरा असर देखने को मिल रहा है।

विदेशी पूंजी का आउट फ्लो

शेयर बाजार में गिरावट का एक पहलू अमेरिकी डॉलर की मजबूती को भी माना जा रहा है। इसके अलावा बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली हो रही है। 2 जनवरी को छोड़कर हर दिन विदेशी निवेशक अपनी भारतीय इक्विटी बेच रहे हैं। निवेशक 20 जनवरी तक लगभग 51000 करोड़ रूपये की इक्विटी बेच चुके हैं।

बजट से सावधानी बरत रहे हैं निवेशक

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। ऐसे में निवेशकों का ध्यान इस पर भी टिका है। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से निवेशकों को उम्मीदें हैं कि सरकार राजकोषीय विवेक को ध्यान में रखते हुए खपत बढ़ाने से लेकर ग्रामीण क्षेत्र को मजबूती देने की घोषणा कर सकती है।

इसके साथ ही विनिर्माण और बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर भी सरकार का जोर हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में निवेशक बहुत सावधानी बरत रहे हैं। इसका असर भी भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है।

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