नई दिल्ली/वॉशिंगटनः अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते से ठीक पहले, भारत ने शुक्रवार को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) मेंअमेरिकी ऑटोमोबाइल पार्टों के आयात पर जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम अमेरिका द्वारा 25 मार्च को भारतीय वाहन और कलपुर्जों पर 25% शुल्क लगाने के जवाब में उठाया गया है, जिनका प्रभाव 3 मई से लागू हो चुका है। भारत WTO समझौतों के असंगत और अपने व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंचाने वाला मानता है।

भारत का दावा है कि यह अमेरिकी कार्रवाई डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है और इससे भारतीय व्यापार को गंभीर नुकसान हो रहा है। भारत ने अपने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया कि वह अमेरिकी उत्पादों पर करीब 723.75 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त शुल्क लगाएगा, जो 2.89 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यात पर लागू होंगे। यह कार्रवाई डब्ल्यूटीओ के "सेफगार्ड्स एग्रीमेंट" (Article 8.2, AoS) के तहत की जा रही है।

भारत ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिका ने इन टैरिफ्स के बारे में डब्ल्यूटीओ को कोई औपचारिक सूचना नहीं दी, जो डब्ल्यूटीओ की पारदर्शिता और जवाबदेही की शर्तों का उल्लंघन है।

अंतरिम व्यापार समझौते की उम्मीद भी बाकी

इसी बीच, भारत का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में, 26 जून से 2 जुलाई तक वॉशिंगटन में अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में शामिल होकर लौट चुका है, लेकिन अभी तक किसी अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं।

वार्ता का मुख्य गतिरोध कृषि और डेयरी उत्पादों के बाजार तक अमेरिका की पहुंच को लेकर है, जिसे भारत एक संवेदनशील मुद्दा मानता है क्योंकि यह छोटे किसानों की आजीविका से जुड़ा है।

भारत की मांग- श्रम-प्रधान क्षेत्रों को मिले रियायत

भारत जहां अमेरिकी शुल्कों से छूट पाने की कोशिश कर रहा है, वहीं वह अपने कपड़ा, चमड़ा और जूते उद्योग जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए टैरिफ रियायतें भी चाहता है। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण और रोजगार को बढ़ावा देना है।

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को संकेत दिया कि अमेरिका जल्द ही 10 से 12 देशों को पत्र भेजेगा, जिनमें बताया जाएगा कि वे 1 अगस्त से अमेरिका के साथ व्यापार के लिए 20-70% तक का शुल्क चुकाएं। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि व्यापार को सरल और नियंत्रित रखा जाए। अगर कोई देश समझौता नहीं करता, तो उन्हें भारी टैरिफ देना होगा।”

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, “भारत का डब्ल्यूटीओ नोटिफिकेशन न केवल एक कानूनी बल्कि रणनीतिक कदम है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत अमेरिका के ऑटो सेक्टर टैरिफ का जवाब देने को तैयार है। यह जवाबी कार्रवाई पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के तहत है।”