नई दिल्लीः पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते सोमवार को भारतीय शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ खुले। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 645 अंकों की गिरावट के साथ 81,762.8 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 189 अंक गिरकर 24,923.3 पर आ गया। यह दोनों इंडेक्स में करीब 0.75% से अधिक की गिरावट दर्शाता है।
बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका द्वारा ईरान की तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स पर एयरस्ट्राइक (ऑपरेशन 'मिडनाइट हैमर') को माना जा रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर तनाव और अनिश्चितता बढ़ी है। एशिया एक्स-जापान बाजारों में भी 1% से ज्यादा की गिरावट देखी गई, वहीं कच्चे तेल की कीमतें पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।
सभी सेक्टर लाल निशान में
निफ्टी के सभी 13 प्रमुख सेक्टर्स लाल निशान में रहे। मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्स भी लगभग 0.6% की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं। निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए सोना, अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख किया, जिससे फेडरल रिजर्व की दर कटौती की संभावनाओं पर भी असर पड़ा है।
ग्लोबल आईटी सेंटीमेंट पर असर
अमेरिकी आईटी कंपनी एक्सेंचर के शेयरों में अचानक गिरावट का असर भारतीय आईटी कंपनियों पर भी पड़ा। वैश्विक आईटी सेक्टर की धारणा कमजोर बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि सेंसेक्स के लिए तत्काल प्रतिरोध (रेसिस्टेंस) स्तर 82,000 के आसपास रहने की संभावना है, जबकि समर्थन (सपोर्ट) स्तर 81,500-81,700 के दायरे में है। निफ्टी के लिए समर्थन 24,900 के आसपास है, और प्रतिरोध 25,000-25,100 के दायरे में।
आगे बाजार की दिशा कच्चे तेल की कीमतों (जो अब 5 महीने के उच्चतम स्तर पर हैं), अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये की चाल, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की पूंजी प्रवाह की स्थिति और ईरान की सैन्य व राजनीतिक प्रतिक्रिया जैसे संकेतकों पर निर्भर करेगी। फिलहाल निवेशक तेल की अस्थिरता और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।