भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की सफलता के बाद अब केंद्र सरकार की नजर यूरोपीय संघ (EU) के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर है। वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि भारत और ईयू के बीच जून 2022 से मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है, और अब तक इसके 12 दौर पूरे हो चुके हैं। अंतिम दौर की बातचीत जुलाई 2025 में सम्पन्न हुई।
मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि बीते पांच वर्षों में यूरोपीय संघ को भारत का वस्त्र निर्यात (मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट) लगातार बढ़ा है। वित्त वर्ष 2020-21 में यह 41.36 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में बढ़कर 75.76 अरब डॉलर हो गया है। इसी प्रकार, अमेरिका को होने वाला भारत का निर्यात भी इसी अवधि में 51.6 अरब डॉलर से बढ़कर 86.5 अरब डॉलर पहुंच गया है।
भारत और ईयू का लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाए। इस दिशा में दोनों पक्षों ने वस्तुओं और सेवाओं के बाजार तक पहुँच को लेकर प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया है। वार्ता के कई अध्यायों (चैप्टर्स) को अंतिम रूप दिया जा चुका है, हालांकि कुछ मुद्दों पर अब भी मतभेद बने हुए हैं। सरकार के अनुसार, अगला दौर सितंबर के पहले सप्ताह में भारत में होने की संभावना है। समझौते की प्रक्रिया को गति देने के लिए दोनों पक्षों ने पहले एक ‘अंतरिम समझौता’ को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले महीने कहा था कि प्रस्तावित भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौता न केवल द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि यह समावेशी विकास की दिशा में साझा प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।
उन्होंने स्टॉकहोम में आयोजित भारत-स्वेडन उच्च-स्तरीय व्यापार और निवेश नीति मंच को संबोधित करते हुए यह बात कही थी। इस दौरान स्वीडन की प्रमुख कंपनियों और भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच सहयोग की अपार संभावनाओं पर चर्चा हुई।
भारत सरकार आने वाले महीनों में ईयू और ASEAN जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ वार्ताओं को और तेज करने की योजना बना रही है। इन प्रयासों से भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति को नई दिशा मिलने की संभावना है।
घरेलू निर्यातकों को मिलेंगे बड़े अवसर
ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) ने भारत-यूके के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए)की सराहना करते हुए कहा कि इससे कई सेक्टर्स में भारतीय निर्यातकों के लिए अवसर खुलेंगे।
वित्त वर्ष 2024-25 में यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ भारत का कुल व्यापार 23.1 अरब डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया था, जो निर्यात में निरंतर बढ़ोतरी के कारण है।
इस अवधि में भारत का यूके को निर्यात बढ़कर 14.5 अरब डॉलर हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.4 प्रतिशत अधिक है, जबकि आयात 2.3 प्रतिशत बढ़कर 8.6 अरब डॉलर हो गया, जिसके कारण भारत को यूके से द्विपक्षीय व्यापार में 5.9 अरब डॉलर का रिकॉर्ड सरप्लस प्राप्त हुआ।
टीपीसीआई ने कहा कि अगले तीन वर्षों में ब्रिटेन को भारत के कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, जिसका कारण एफटीए द्वारा 95 प्रतिशत से अधिक भारतीय कृषि और प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों पर शून्य-शुल्क लगना है, जिसमें फल, सब्जियां, अनाज, कॉफी, चाय, मसाले, तिलहन, अल्कोहल बेवरेज और खाने के लिए तैयार वस्तुएं शामिल हैं।
उद्योग निकाय के मुताबिक, भारत के समुद्री खाद्य उद्योग को ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री बाजार में शून्य-शुल्क पहुंच से लाभ होगा, जिससे जर्मनी और नीदरलैंड जैसे प्रमुख यूरोपीय संघ के देशों के साथ टैरिफ समानता आएगी। इससे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, गुजरात और तमिलनाडु के मछुआरों को सीधा लाभ होगा।
टीपीसीआई के अध्यक्ष मोहित सिंगला ने कहा, "भारत-यूके एफटीए पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यातकों के लिए बड़े अवसर खोलता है।"
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान के अनुसार, यह ऐतिहासिक समझौता यूके में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि अब उन्हें तीन साल तक के सोशल सिक्योरिटी टैक्स से छूट मिलेगी, जिससे अनुमानित रूप से 4,000 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत होगी।
चौहान ने आगे कहा, "नया वीजा ढांचा यूके में पेशेवरों के लंबे प्रवास को और भी आसान बनाता है। यह समझौता अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसी अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ भविष्य के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के लिए एक आदर्श स्थापित करता है, जिससे लंबे समय से चली आ रही व्यापार बाधाएं दूर होंगी और उच्च तकनीक निर्यात, मोबाइल निर्माण और सेमीकंडक्टर में सहयोग के रास्ते खुलेंगे।"