नई दिल्ली: भारत और वियतनाम जैसे देशों को चीन प्लस वन रणनीति का सबसे अधिक लाभ मिल रहा है। इसका खुलासा हाल की एक रिपोर्ट में हुआ है। इस स्ट्रैटेजी के जरिए एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले कुछ सालों में भारत का निर्यात भी बढ़ेगा और यह दोगुना भी हो जाएगा। भारत में बढ़ती घरेलू मांग को देखते हुए कई कंपनियां यहां निवेश करने के लिए इच्छुक भी हैं।
रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है
मंगलवार को जारी नोमुरा रिपोर्ट ने यह अनुमान लगाया है कि भारत का निर्यात जो साल 2023 में 431 बिलियन डॉलर था, 2030 तक यह 835 बिलियन डॉलर हो जाएगा। जिस तरीके से पिछले कुछ सालों में भारत जैसे बड़े घरेलू बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई है, उससे कई विदेशी कंपनियां चीन के विकल्प के रूप में भारत को देख रही है और इसके प्रति आकर्षित हो रही है।
नोमुरा ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट, खिलौने, ऑटोमोबाइल और कंपोनेंट कैपिटल गुड्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत में निवेश करने की चाह रख रही हैं।
भारत का बड़ा घरेलू उपभोक्ता बाजार विदेशी कंपनियों को यहां पर निवेश करने के लिए आकर्षित कर रही हैं। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत के निर्यात में हर साल 10 फीसदी का ग्रोथ हो सकता है और यह वृद्धि सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में होने वाली है।
2030 तक भारत का निर्यात बढ़ सकता है तीन गुना
आने वाले 10 सालों में भारत में 24 फीदसी के दर से ग्रोथ होने वाली है। साल 2030 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात लगभग तीन गुना बढ़ सकता है और यह 83 बिलियन डॉलर हो सकता है।
वहीं अगर बात करें मशीनरी निर्यात का तो इसके दोगुना दर से बढ़ने की उम्मीद है। साल 2023 में मशीनरी निर्यात 28 बिलियन डॉलर था जो 2030 तक 61 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
इन कारकों से भारत को मिल रहा है फायदा
रिपोर्ट में नोमुरा का यह मानना है कि कम उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) संवितरण के बावजूद, ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की क्षमता इसके बड़े बाजार के कारण काफी महत्वपूर्ण है।
नोमुरा का यह भी कहना है कि तेज विकास, कम श्रम लागत और राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता भारत के लिए फायदे के रूप मे साबित हो रहे हैं। ये कारकें भारत की घरेलू मांग और निर्यात दोनों के लिए उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनने में मदद कर रही है।
अमेरिका के अलावा ये देश भी रख रही हैं रुचि
नोमुरा ने यह भी उम्मीद जताया है कि 2030 तक भारत का वैश्विक व्यापार और भी बढ़ेगा और इसकी हिस्सेदारी 2.8 फीसदी हो जाएगी। भारत के प्रोडक्ट्स में बढ़ रहे कॉम्पिटिशन से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और देश के कारोबार संतुलन में सुधार होगा। इससे देश के चालु खाते में भी सुधार होगा और इस कारण भारत का मुद्रा भी मजबूत होगा।
इस सर्वे में शामिल 130 उद्यमों ने भारत और वियतनाम में रुचि दिखाई है। रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में निवेश की रुचि रखने वाली अधिकतर अमेरिकी कंपनियां हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर से जुड़े कंपनियां भारत में निवेश की ज्यादा चाह रख रही है।
केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि जापान और कोरिया भी भारत में निवेश के लिए सामने आ रही है। ये कंपनिया भारत के ऑटो, उपभोक्ता टिकाऊ सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में भी निवेश कर रहे हैं।