नई दिल्ली/ढाकाः भारत ने बांग्लादेश से पूर्वोत्तर राज्यों के जरिए होने वाले वस्त्र (रेडीमेड गारमेंट्स) और अन्य उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगा दी है। यह कदम बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के एक विवादास्पद बयान के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर हिस्से को समुद्र से कटे हुए क्षेत्र (लैंडलॉक्ड रीजन) के रूप में वर्णित किया था।
चीन में दिए गए अपने भाषण में यूनुस ने कहा था कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र समुद्र से कटा हुआ है और उसकी समुद्री पहुंच नहीं है। यूनुस ने नॉर्थ-ईस्ट को ‘लैंड लॉक्ड’ क्षेत्र बताकर इसे बांग्लादेश की मेहरबानी पर निर्भर दिखाने की कोशिश की थी। भारतीय अधिकारियों ने इस बयान को क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और संपर्क के महत्व को कमतर आंकने वाला बताया है।
कहां-कहां लागू होगी रोक?
नई पाबंदियां असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों के जमीनी बंदरगाहों और पश्चिम बंगाल के फुलबाड़ी व चेंगराबंधा बॉर्डर पॉइंट्स पर लागू होंगी। इससे बांग्लादेश को अब अपने उत्पादों - जैसे रेडीमेड वस्त्र, प्लास्टिक, मेलामाइन, फर्नीचर, जूस, बेकरी व प्रोसेस्ड फूड - को कोलकाता या महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाहों के जरिए भेजना होगा, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में भारी वृद्धि होगी।
कितना होगा असर, भारत का क्या है पक्ष?
बांग्लादेश के कुल निर्यात का 93% हिस्सा अब तक भारत में इन्हीं जमीनी मार्गों से पहुंचता था। अकेले वस्त्र क्षेत्र से बांग्लादेश भारत को हर साल करीब 740 मिलियन डॉलर के कपड़े निर्यात करता है। अब इस पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह कदम वाजिब व्यापार संतुलन के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने सालों तक बांग्लादेश को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए खुला बाजार उपलब्ध कराया, जबकि बांग्लादेश भारतीय उत्पादों पर सीमित पहुंच और ऊंचे ट्रांजिट शुल्क लगाता रहा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि “बांग्लादेश भारतीय माल पर 1.8 टका प्रति टन प्रति किलोमीटर शुल्क वसूलता है, जबकि घरेलू दर केवल 0.8 टका है। यह असमान व्यवहार है। बाजार तक पहुंच आपसी सहमति और बराबरी पर आधारित होनी चाहिए।”
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की ओर से सीमावर्ती इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट्स पर अब भी भारतीय उत्पादों के लिए कई पाबंदियां लागू हैं। इससे पूर्वोत्तर भारत के औद्योगिक विकास को तीनहरी बाधा झेलनी पड़ती है —अधिक ट्रांजिट शुल्क, सीमित माल आवाजाही और भारतीय उत्पादों की पहुंच में अड़चनें।
क्या होंगे इसके नतीजे?
इस कदम से बांग्लादेश के वस्त्र उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है, जहां उत्पादन लागत और बाजार पहुंच दोनों प्रभावित होंगे। दूसरी ओर, यह निर्णय भारतीय निर्माताओं के लिए नए अवसर भी खोल सकता है, खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में।