भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग पर नए अमेरिकी शुल्क का असर, 4,500 करोड़ तक मुनाफा घटने की आशंका: ICRA

आईसीआरए ने अपने विश्लेषण में कहा है कि वित्त वर्ष 2026 में ऑटो पार्ट्स उद्योग की राजस्व वृद्धि दर घटकर 6-8 प्रतिशत रह सकती है, जो पहले 8-10 प्रतिशत रहने का अनुमान था।

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नई दिल्लीः भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग को नया झटका लगा है। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए (ICRA) के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लगाए गए नए आयात शुल्क से भारतीय निर्यातकों की कमाई पर बड़ा असर पड़ सकता है।

एजेंसी का अनुमान है कि इन शुल्कों के कारण ऑटो पार्ट्स निर्यातकों के परिचालन लाभ में करीब 2,700 से 4,500 करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है, जो निर्यातकों के कुल परिचालन लाभ का 10-15 प्रतिशत और पूरे उद्योग के परिचालन लाभ का 3-6 प्रतिशत होगा।

ऑटो पार्ट्स उद्योग की राजस्व वृद्धि दर में आएगी गिरावट

आईसीआरए ने अपने विश्लेषण में कहा है कि वित्त वर्ष 2026 में ऑटो पार्ट्स उद्योग की राजस्व वृद्धि दर घटकर 6-8 प्रतिशत रह सकती है, जो पहले 8-10 प्रतिशत रहने का अनुमान था। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका को होने वाले निर्यात में संभावित मध्यम से उच्च स्तर की गिरावट के कारण होगी, क्योंकि अमेरिका ने आयात शुल्कों में भारी बढ़ोतरी की है।

एजेंसी ने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2026 में उद्योग का परिचालन मार्जिन भी 50-100 बेसिस प्वाइंट गिरकर 10.5-11.5 प्रतिशत रह सकता है। निर्यातकों के लिए यह गिरावट और भी अधिक, यानी 150-250 बेसिस प्वाइंट तक हो सकती है। हालांकि, आईसीआरए का कहना है कि अधिकांश निर्यातकों की ऋण प्रोफाइल और तरलता फिलहाल संतोषजनक बनी रहेगी, भले ही मार्जिन पर दबाव बढ़े और कार्यशील पूंजी की जरूरतें बढ़ें।

आईसीआरए लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉर्पोरेट रेटिंग्स प्रमुख शमशेर देवगन ने कहा, "हमारे बातचीत में ऑटो पार्ट्स आपूर्तिकर्ताओं ने संकेत दिया है कि वे शुल्क से बढ़ी लागत का अधिकांश हिस्सा ग्राहकों पर डालने की कोशिश करेंगे। हालांकि, किसी भी खरीदार-बेचने वाले के बीच यह इस पर निर्भर करेगा कि सप्लायर कितना महत्वपूर्ण है, उसका बाजार में हिस्सा कितना है और वह कितनी तकनीकी गहनता वाले उत्पाद देता है।"

वाहन बिक्री में गिरावट, रिप्लेसमेंट डिमांड में सुस्ती जैसे कारक भी जोखिम बढ़ा रहे

उन्होंने यह भी आगाह किया कि अमेरिका में आर्थिक अनिश्चितता, वाहन बिक्री में गिरावट और रिप्लेसमेंट डिमांड में सुस्ती जैसे कारक भी जोखिम बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, यूरोप और एशिया जैसे अन्य बाजारों में प्रतिस्पर्धा भी तेज हो रही है।

बताया गया कि भारत के ऑटो पार्ट्स निर्यात बास्केट का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा नए अमेरिकी शुल्कों से प्रभावित हो सकता है। हालांकि भारत द्वारा जवाबी शुल्क लगाने की प्रक्रिया फिलहाल 90 दिनों के लिए स्थगित की गई है, लेकिन 10 प्रतिशत का एड वेलोरम ड्यूटी अभी भी लागू है।

आईसीआरए का मानना है कि अल्पकालिक दबावों के बावजूद, यदि भारत चीन के मुकाबले अपनी लागत प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में सफल रहा, तो मध्यम अवधि में भारत को वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियों से नए अवसर मिल सकते हैं। हाल के हफ्तों में कुछ भारतीय कंपनियों को अमेरिका के आयातकों से बढ़ती पूछताछ के संकेत भी मिले हैं, जो भविष्य में अवसरों का संकेत देती है।

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