नई दिल्ली: ऑनलाइन खरीदारी के आज के दौर में ग्राहकों को गुमराह करने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से बचाने की कोशिशों के तहत केंद्र सरकार एक बड़ी पहल करने जा रही है। उपभोक्ता मामलों का विभाग इस बार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसंबर, 2024) के मौके पर तीन अहम ऐप लॉन्च करने जा रहा है। ये तीन ऐप- ‘जागो ग्राहक जागो ऐप’, ‘जागृति ऐप’ और ‘जागृति डैशबोर्ड’ का इस्तेमाल आम लोग आसानी से कर सकेंगे।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार यह पहल डिजिटल युग में उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने और ई-कॉमर्स और ऑनलाइन सेवाओं में अनुचित प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की व्यापक रणनीति और चल रहे प्रयासों का एक हिस्सा है। ये तीन नए ऐप सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) की क्षमता को बढ़ाएंगे, जिससे वे तमाम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न्स पर नजर रख सकेंगे और उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान भी लेने में सक्षम होंगे।
तीनों ऐप क्या काम करेंगे?
‘जागो ग्राहक जागो ऐप’ उपभोक्ता की ऑनलाइन गतिविधियों के दौरान सभी यूआरएल के बारे में आवश्यक ई-कॉमर्स जानकारी प्रदान करेगा। यह ग्राहकों को सचेत करेगा है कि कोई यूआरएल सुरक्षित है या नहीं और क्या सावधानी बरतने की जरूरत है।
वहीं, ‘जागृति ऐप’ यूजर को उन यूआरएल की रिपोर्ट करने की अनुमति देगा, जहां उन्हें एक या अधिक डार्क पैटर्न्स की मौजूदगी का संदेह होता है। रिपोर्ट किए जाने के बाद सीसीपीए के पास ये शिकायत के तौर पर पंजीकृत हो जाएंगे। इन शिकायक के आधार पर सीसीपीए उसके निवारण और बाद की कार्रवाई पर विचार करेगा।
इसके अलावा, सीसीपीए को ‘जागृति डैशबोर्ड’ से बड़ी मदद मिलेगी। सीसीपीए इसकी मदद से ई-कॉमर्स यूआरएल पर डार्क पैटर्न्स की मौजूदगी को लेकर वास्तविक समय की रिपोर्ट तैयार कर सकेगा। इससे ऑनलाइन उपभोक्ता इंटरैक्शन की प्रभावी रूप से निगरानी और विनियमन करने की क्षमता बढ़ जाएगी। यह सीसीपीए को डार्क पैटर्न की पहचान करने, उपभोक्ता विवादों के समाधान में तेजी लाने और उपभोक्ता हितों के खिलाफ हानिकारक चलन पर अंकुश लगाने में सहायता करेगा।
ग्राहकों के हितों के लिए तीन ऐप…क्या है लक्ष्य
सरकारी की ओर से बताया गया है कि उसकी कोशिश एक पारदर्शी और न्यायसंगत डिजिटल बाजार तैयार करना है, जहां उपभोक्ता बिना किसी धोखे या दबाव के अपने मन मुताबिक फैसले ले सके। साथ ही इसके पीछे एक कोशिश उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को विनियमित करना भी है।
इसके अलावा इसमें सब्सक्रिप्शन ट्रैप जैसी प्रथाओं को रोकना भी शामिल है, जहां उपभोक्ता अनजाने में कैशबैक या भ्रामक ऑफर को देखकर साइन अप कर लेते हैं। साथ ही एक और लक्ष्य कंपनियों को नैतिक डिजाइन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना भी है, जहां उपभोक्ता अधिकारों और पारदर्शिता को प्राथमिकता दिया जाए।
बीचयू के छात्रों ने बनाये हैं तीनों ऐप
पीआईबी की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि तीनों ऐप को आईआईटी (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के एनसीसी लैब में गहन शोध के बाद छात्रों सहित प्रिंस अमन और नमित मिश्रा द्वारा विकसित किया गया है। ये ऐप साइबर-फिजिकल प्रणाली का हिस्सा हैं, जो वास्तविक समय में काम करते हैं। ये एआई, डेटा एनालिटिक्स के लिए राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत ऐरावत एआई सुपरकंप्यूटर के जरिए ऑपरेट करेंगे।
यह नया सिस्टम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मौजूदा टेक्स्ट और डिजाइन एलिमेंट्स का विश्लेषण करेगा। इससे यह निर्धारित हो सकेगा कि इनका इस्तेमाल उपभोक्ता के मनोविज्ञान को गलत तरीके से प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है या नहीं।