नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार, 5 जुलाई 2025 को लंदन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender) घोषित कर दिया है। यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर दिया गया, जो 2018 के भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के तहत आता है।
इस फैसले के बाद ईडी अब भंडारी की करीब 21 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर सकेगी। भंडारी ने 2016 में भारत छोड़कर लंदन भागने के बाद से भारतीय जांच एजेंसियों को चकमा दिया है। हाल ही में एक ब्रिटिश अदालत ने भी भारत प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं दी, जिससे उसका भारत लौटना अब लगभग नामुमकिन हो गया है।
क्या हैं आरोप?
ईडी ने भंडारी के खिलाफ फरवरी 2017 में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। यह केस इनकम टैक्स विभाग की उस चार्जशीट पर आधारित था जिसमें भंडारी पर काले धन को छिपाने और विदेशों में संपत्ति रखने के आरोप थे।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि भंडारी ने 2009 में लंदन के ब्रायनस्टन स्क्वायर में स्थित एक आलीशान बंगला खरीदा और रॉबर्ट वाड्रा के निर्देश पर उसकी मरम्मत कराई। ईडी का दावा है कि मरम्मत का खर्च भी वाड्रा ने ही वहन किया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा ने इन आरोपों को सिरे से नकारा है और कहा कि यह सब राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।
अब तक 16 भगोड़े घोषित
संजय भंडारी अब विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे चर्चित भगोड़ा आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल हो गए हैं। केंद्र सरकार ने FEOA एक्ट, 2018 कानून 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के आर्थिक अपराधों में फरार आरोपियों के लिए बनाया था ताकि उनकी संपत्ति जब्त की जा सके और उन्हें कानूनी प्रक्रिया में लाया जा सके।
भंडारी के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ब्रिटेन में कानूनी रूप से रह रहे हैं, और यूके कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें भगोड़ा घोषित करना गलत है। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।