वॉशिंगटन डीसी: भारत की शीर्ष तकनीकी कंपनियों में से एक नारायण मूर्ति की इंफोसिस हर बार किसी न किसी कारण से चर्चा में रहती है। कंपनी कभी अपने कारोबार को लेकर तो कभी अपने अधिग्रहणों और अन्य कॉर्पोरेट गतिविधियों के लिए सुर्खियों में रहती है। इस बार इंफोसिस पर बिक्री कर न चुकाने के कारण भारी जुर्माना लगाया गया है।
इसके साथ ही शॉर्ट पेमेंट के लिए भी कथित तौर भारी फाइन लगाया गया है। हालांकि कंपनी पर किसी किस्म का जुर्माना पहली बार नहीं लगा है, इससे पहले भी इस तरह के फाइन लग चुके हैं।
कंपनी पर लगा है इतने का जुर्माना
आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस पर करीब 2.60 लाख (3,142.02 अमेरिकी डॉलर) रुपए का जुर्माना लगाया गया है। कंपनी को संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास के सार्वजनिक लेखा नियंत्रक ने अप्रैल 2024 के लिए बिक्री कर का भुगतान न करने के लिए जुर्माना लगाया है। हालांकि कंपनी के लेनदेन को देखते हुए यह रकम काफी कम है।
यही नहीं, इंफोसिस पर संशोधित व्यापार कर के शॉर्ट पेमेंट के कथित उल्लंघन के लिए भी जुर्माना लगाया गया है। कम भुगतान या शॉर्ट पेमेंट का मतलब उस भुगतान से होता है जिसमें चालान की गई राशि से कम भुगतान किया गया हो।
इससे पहले भी इंफोसिस पर लगा है जुर्माना
इंफोसिस पर इससे पहले भी जुर्माना लग चुका है। पिछले साल अगस्त में फ्लोरिडा के राजस्व विभाग ने टैक्स में कमी के लिए इंफोसिस पर 6361.28 रुपए (76.92 डॉलर) का जुर्माना लगाया गया था। इसके अलावा अक्टूबर 2023 में मैसाचुसेट्स के राष्ट्रमंडल ने इंफोसिस पर 91,132.09 रुपए (1,101.96 डॉलर) का जुर्माना लगाया था।
यही नहीं पिछले साल भारत में भी इंफोसिस पर फाइन लगा था। भारत के वाणिज्यिक कर विभाग ने जुर्माना और ब्याज शुल्क सहित एकीकृत वस्तु और सेवा कर (आईजीसीएसटी) के लिए इंफोसिस को 26.5 लाख रुपए का डिमांड नोटिस जारी किया था।
इंफोसिस के बारे में
इंफोसिस एक बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी है। इसकी स्थापना साल 1981 में हुई थी। इसे सात इंजीनियरों ने 250 अमेरिकी डॉलर में शुरू किया था। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसका कारोबार दुनिया भर के 56 देशों में हैं।
कंपनी व्यवसाय परामर्श, आउटसोर्सिंग और प्रौद्योगिकी समाधान के साथ कई और तरह की सर्विस प्रदान करती है। यही नहीं कंपनी अपने वैश्विक बैंकिंग प्लेटफॉर्म फिनेकल के लिए यह जाना जाता है।
साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार, कंपनी का बाजार पूंजीकरण 615,453.4 करोड़ रुपए (74.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और वार्षिक राजस्व 13,500 करोड़ रुपए (18 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है।