मुंबई: पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने मंगलवार को विशेष अदालत के उस आदेश पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी, जिसमें कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के लिए सेबी की पूर्व अध्यक्ष और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। 

जस्टिस शिवकुमार डिगे की एकल पीठ ने कहा कि 1 मार्च का विशेष अदालत का आदेश मामले के विवरण में गए बिना और आरोपी की कोई विशिष्ट भूमिका बताए बिना नियमानुसार पारित कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा, 'इसलिए आदेश पर अगली तारीख तक रोक लगा दी गई है। मामले में शिकायतकर्ता (सपन श्रीवास्तव) को याचिकाओं के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है।'

हाई कोर्ट में माधबी बुच ने लगाई थी याचिका

हाई कोर्ट का ताजा फैसला बुच, सेबी के तीन वर्तमान पूर्णकालिक निदेशकों - अश्वनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय सहित बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदररमन राममूर्ति और इसके पूर्व अध्यक्ष और पब्लिस इंट्रेस्ट डायरेक्टर प्रमोद अग्रवाल द्वारा दायर याचिकाओं पर आया है।

इन याचिकाओं में विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को बीएसई पर एक कंपनी को सूचीबद्ध करते समय 1994 में किए गए धोखाधड़ी के कुछ आरोपों के संबंध में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विशेष अदालत का आदेश अवैध और मनमाना था।

बता दें कि विशेष अदालत ने एक मीडिया रिपोर्टर सपन श्रीवास्तव द्वारा दायर शिकायत पर आदेश पारित किया था। इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपियों द्वारा किए गए कथित अपराधों की जांच की मांग की गई थी।

विशेष अदालत ने शनिवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के संबंध में सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।

विशेष एसीबी अदालत के जज शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा था, 'नियामक चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया सबूत हैं, जिसके लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।'

भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच को अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा हितों के टकराव के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था। बाद में इस पर देश में राजनीतिक बयानबाजी भी खूब देखने को मिली थी।

सेबी ने मामले को बताया था छोटा

बहरहाल, सेबी ने अपने बयान में एसीबी अदालत में दायर आवेदन की आलोचना करते हुए इसे छोटा मामला बताया था और इस बात पर प्रकाश डाला कि इसमें शामिल अधिकारी कथित घटनाओं के समय अपने पदों पर नहीं थे।

सेबी ने आगे दावा किया कि यह आवेदन एक "आदतन वादी" द्वारा किया गया था और इस बात पर जोर दिया कि एसीबी कोर्ट के आदेश ने उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी।