नई दिल्ली: लोकपाल ने बुधवार को सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर आधारित भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, लोकपाल ने कहा कि ये दावे बेबुनियाद थे।

लोकपाल की छह सदस्यीय पीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने की, ने कहा कि मधाबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोप "अवास्तविक, अप्रमाणित और बेहद हल्के स्तर के" थे। पीठ ने कहा कि शिकायतें सिर्फ "अनुमान और अटकलों" पर आधारित थीं और उनके समर्थन में कोई ठोस या सत्यापन योग्य प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की शिकायत भी खारिज

इन आरोपों में एक शिकायत टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा पिछले साल दाखिल की गई थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि बुच और उनके पति का संबंध कुछ ऐसे विदेशी फंड्स से था, जो अदानी ग्रुप से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस्तेमाल हुए थे। हालांकि, लोकपाल ने स्पष्ट किया कि ये आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट पर आधारित थे, जिसे एक “ज्ञात शॉर्ट सेलर” ने बनाया था, जिसका मकसद अदानी समूह को निशाना बनाना था।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को कार्रवाई का आधार नहीं माना

लोकपाल ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को किसी व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई के लिए एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता, और इस आधार पर पूर्व सेबी प्रमुख के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।

बुच ने स्वयं इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि ये पूंजी बाजार नियामक संस्था की साख को ठेस पहुंचाने और उनकी व्यक्तिगत छवि धूमिल करने का प्रयास हैं। 

मधाबी पुरी बुच ने 2 मार्च 2022 को सेबी प्रमुख का पदभार संभाला था और 28 फरवरी 2025 को अपना कार्यकाल पूरा करके पद से इस्तीफा दे दिया था। नवंबर 2024 में लोकपाल ने उनके खिलाफ दायर शिकायतों पर स्पष्टीकरण मांगा था।

लोकपाल ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया कि मौखिक और लिखित प्रस्तुतियों में कुल पांच आरोप लगाए गए थे, लेकिन सभी को पर्याप्त सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया गया।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी की पूर्व प्रमुख पर क्या थे आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी 10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि बुच और उनके पति का अदानी समूह से जुड़े कथित धन-शोधन घोटाले में इस्तेमाल किए गए अज्ञात ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी।

बुच और उनके पति ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि शॉर्ट-सेलर पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला कर रहा था और चरित्र हनन का प्रयास कर रहा था।

अदानी समूह ने भी इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक जानकारी में हेरफेर बताया था। हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने इस साल जनवरी में फर्म को बंद करने की घोषणा की थी।