नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के पहले दिन संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic survey) 2023-24 पेश कर दिया। संसद में सोमवार को रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली है और कोविड महामारी के बाद इसमें मजबूत सुधार नजर आया है। साथ ही सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी लगभग 6.5-7% की दर से बढ़ेगी।

निर्मला सीतारमण को 23 जुलाई, 2024 को संसद में बजट-2024 पेश करना है। परंपरा के अनुसार हर साल केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्रालय की ओर से इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। इस सर्वे में पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था में हुए बदलाव और विकास आदि का रिव्यू और आंकलन होता है। सर्वे इस बात का भी संकेत देता है कि बजट कैसा हो सकता है। बजट मंगलवार को पेश होना है।

यह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित एनडीए सरकार का पहला बजट होगा। बजट सत्र के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश की सेवा में जुटने की अपील की। बजट सत्र से पहले प्रेस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने 'नकारात्मक राजनीति' करने वाले विपक्षी दलों से 'अतीत की कड़वाहट को पीछे छोड़ एक साथ आने' की अपील की।

इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 के हाइलाइट्स...10 बड़ी बातें

1. मजबूत विकास: आर्थिक सर्वे 2023-4 में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था का विस्तार जारी है। वित्त वर्ष 2023- 24 में वास्तविक रूप से जीडीपी 8.2 प्रतिशत रही। सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में मजबूती दिखा रही है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।

2. निजी निवेश मजबूत: सर्वे के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड के बाद की अपनी रिकवरी को मजबूत किया है, जिससे आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हुई। रिकवरी को बनाए रखने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी। पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति ने पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा दिया है। 2023-24 में ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

3. मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति दर काफी हद तक नियंत्रण में है। हालांकि कुछ खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर बढ़ी हुई है। वित्त वर्ष 2024 में व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 की तुलना में कम था, और वर्ष के लिए चालू खाता घाटा जीडीपी का लगभग 0.7 प्रतिशत है। चालू खाते ने वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में अधिशेष दर्ज किया।

4. विदेशी मुद्रा भंडार: सर्वे में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है। सार्वजनिक निवेश के चलते पिछले कई वर्षों में पूंजी निर्माण बना है, जबकि निजी क्षेत्र ने अपनी बैलेंस शीट की समस्याओं को दूर किया और वित्त वर्ष 2022 में निवेश करना शुरू किया। अब उसे सार्वजनिक क्षेत्र से कमान लेनी होगी और अर्थव्यवस्था में निवेश की गति को बनाए रखना होगा। सर्वे में कहा गया है कि संकेत उत्साहजनक हैं।

5. रिटेल ईंधन महंगाई में कमी: सर्वे में रिटेल ईंधन महंगाई को लेकर बताया गया है कि यह कम रहा। इसके अनुसार 2024 में ग्लोबल मूल्य सूचकांक में तेज गिरावट रही। केंद्र सरकार ने भी एलपीजी सहित पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कटौती की। इस वजह से रिटेल ईंधन महंगाई कम रही।

6. रिटेल इन्फलेशन में कमी: सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में रिटेल इन्फलेशन में भी कमी रही। वित्त वर्ष 2023 में यह 6.7 प्रतिशत था जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गया। साथ ही उम्मीद जाहिर की गई है कि वित्त वर्ष 2025 में इसमें और गिरावट होगी और यह 4.5 फीसदी तक आ जाएगा। सरकार के अनुसार मानसून की सामान्य बारिश और किसी बाहरी नीतिगत झटके नहीं होने की स्थिति में रिटेल इनफ्लेशन वित्त वर्ष 2026 तक 4.1 फीसदी पर आ जाएगा।

7. रोजगार पर क्या कहता है सर्वे: सर्वे के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते वर्क फोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। सर्वे के अनुसार मार्च-2024 में 15+ आयु वर्ग के लिए शहरी बेरोजगारी दर घटी है और ये 6.8 प्रतिशत से कम होकर 6.7 प्रतिशत पर आ गया है। सर्वे के अनुसार युवा बेरोजगारी दर 2017-18 के 17.8 प्रतिशत से कम होकर अब 10 प्रतिशत पर है।

8. वैश्विक चुनौतियों से निपटना होगा: सर्वे में ये भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हालात मुश्किल भरे बने हुए हैं। ऐसे में इसका असर कैपिटल फ्लो पर पड़ सकता है। यह भी कहा गया है कि इस साल IT सेक्टर में बहुत अच्छी हायरिंग के मौके कम हो सकते हैं। सर्वे के अनुसार वैश्विक चुनौतियों की वजह से एक्सपोर्ट के मोर्चे पर परेशानी आ सकती है।

9. कोविड के बाद तेज सुधार: सर्वे के अनुसार कोविड महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से अच्छा सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में रियल जीडीपी साल 2020 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2025 में भी ऐसी ही ग्रोथ का अनुमान है।

10. शेयर बाजार को लेकर सतर्कता जरूरी: सर्वे में शेयर बाजार को लेकर कहा गया है कि यहां रिटेल इंवेस्टर्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है। अति आत्मविश्वास की संभावना के कारण सट्टेबाजी और अधिक रिटर्न की उम्मीद बढ़ सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग से कम या नकारात्मक रिटर्न के बारे में चेतावनी देने के लिए निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने और निरंतर वित्तीय शिक्षा आवश्यक है।

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