नई दिल्ली: उपभोक्ता वस्तुओं की प्रमुख कंपनी डाबर ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। डाबर ने पतंजलि के च्यवनप्राश के विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए उन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।
च्यवनप्राश सेगमेंट में 61.6 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखने वाली डाबर का आरोप है कि पतंजलि आयुर्वेद ने उसके च्यवनप्राश उत्पादों को बदनाम किया है।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने मंगलवार को मामले की सुनवाई की। डाबर ने पतंजलि के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की, लेकिन कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई जनवरी के अंत में तय की।
पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन पर डाबर ने क्यों जताई है आपत्ति
यह विवाद पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के एक विज्ञापन से शुरू हुआ, जिसमें कहा गया है कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही “प्रामाणिक” है, जबकि अन्य ब्रांडों के पास पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान की कमी है।
विज्ञापन में स्वामी रामदेव कहते हैं, “जिन्हें आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, वे चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘असली’ च्यवनप्राश कैसे बना सकते हैं?”
डाबर का कहना है कि बाबा रामदेव का यह बयान अन्य ब्रांडों को गलत तरीके से सामान्य और घटिया बताता है। डाबर का तर्क है कि यह विज्ञापन उपभोक्ताओं को गुमराह करने के साथ-साथ उनकी कंपनी की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
पतंजलि आयुर्वेद पर डाबप ने क्या आरोप लगाया है
डाबर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पतंजलि का यह विज्ञापन विज्ञापन नैतिकता का उल्लंघन करता है और उपभोक्ताओं को गुमराह करता है।
सिब्बल ने बताया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत सभी च्यवनप्राश उत्पादों को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों पर आधारित फॉर्मूलेशन का पालन करना जरूरी है। डाबर भी इन नियमों का पालन करता है, लेकिन पतंजलि का विज्ञापन ग्राहकों में अन्य ब्रांडों की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर अनावश्यक शंका उत्पन्न कर रहा है।
डाबर के वकील ने इस साल की शुरुआत में कंपनी के खिलाफ दायर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना याचिका का हवाला देते हुए पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन प्रसारित करने के कथित इतिहास पर भी जिक्र किया है। सिब्बल ने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद एक आदतन अपराधी है।
सिब्बल ने बताया कि यह विज्ञापन प्रमुख टेलीविजन नेटवर्क जैसे कलर्स, स्टार, ज़ी, सोनी और आज तक पर लगभग 900 बार प्रसारित किया गया है, और इसे हिंदी अखबार दैनिक जागरण में भी प्रकाशित किया गया है।
पतंजलि आयुर्वेद ने अपने पर लगे आरोपों के जवाब के लिए समय मांगा है
पतंजलि का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील जयंत मेहता ने मामले की स्थिरता पर सवाल उठाया और जवाब देने के लिए समय मांगा। अदालत ने इस मामले की आगे की सुनवाई जनवरी के अंत में करने का निर्णय लिया है। यह विवाद विज्ञापन नैतिकता, उपभोक्ता विश्वास और बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है।