लखनऊ: धोखाधड़ी आरोप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंसल ग्रुप के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। होमबायर्स के हितों की रक्षा के लिए सीएम योगी ने सभी जिलों में कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।

सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिस तरह लखनऊ में अंसल ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उसी पैटर्न पर राज्य के अन्य जिलों में भी केस दर्ज किए जाएं। जहां-जहां होमबायर्स के साथ धोखाधड़ी की शिकायतें आई हैं, वहां एफआईआर दर्ज कर दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाए।

संयुक्त कमेटी करेगी जांच, क्या है मामला?

मुख्यमंत्री ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) और पीड़ित होमबायर्स की एक संयुक्त कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए। यह कमेटी ठोस सबूत जुटाएगी और अदालत में पेश करेगी, जिससे अंसल ग्रुप के खिलाफ मुकदमा मजबूत किया जा सके।

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने अंसल ग्रुप के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया है, लेकिन इस फैसले से पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण और हाउसिंग विभाग को कोई नोटिस नहीं दिया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए सीएम योगी ने जनहित में एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का निर्देश दिया।

दरअसल अंसल ग्रुप ने पिछले सप्ताह नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए अपील की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। ट्रिब्यूनल ने कंपनी के सभी प्रोजेक्ट्स की निगरानी के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है, जो अंसल ग्रुप की संपत्तियों को बेचकर कर्जदारों और ग्राहकों के पैसे वापस लौटाने की प्रक्रिया पूरी करेगा।

इस फैसले के बाद हजारों होमबायर्स के पैसे फंस गए हैं, जो पिछले एक दशक से पजेशन का इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने एनसीएलटी के आदेश को जनहित के खिलाफ बताते हुए अधिकारियों को इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का निर्देश दिया।

1.31 लाख करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

सरकार के अनुसार, अंसल ग्रुप पर करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। अंसल ग्रुप का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट सुशांत गोल्फ सिटी लखनऊ में स्थित है, जो करीब 6,400 एकड़ में फैला हुआ है। यह प्रोजेक्ट जेवर एयरपोर्ट से भी दोगुना बड़ा है। हजारों निवेशकों ने इस प्रोजेक्ट में फ्लैट, प्लॉट और विला के लिए पैसा लगाया था, लेकिन अब कंपनी के दिवालिया घोषित होने के बाद इनकी रकम फंस गई है।

अंसल ग्रुप के खिलाफ ईडी और सीबीआई की जांच पहले से ही चल रही है। इसके अलावा, रेरा में भी कंपनी के खिलाफ 400 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं। रेरा ने 3 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना भी लगा चुका है। निवेशकों ने आरोप लगाया है कि कंपनी के निदेशकों ने साजिश के तहत खुद को दिवालिया घोषित कराया है, ताकि लोगों के पैसे लौटाने से बचा जा सके।

कैसे मिलेगा पैसा वापस?

एनसीएलटी के आदेश के तहत आईआरपी ने निवेशकों को 11 मार्च तक रिफंड के लिए आवेदन करने का समय दिया है। इसके लिए बाकायदा फॉर्म भी जारी किए गए हैं। IRP समूह की संपत्तियों का मूल्यांकन करेगा और कर्जदाताओं व ग्राहकों को उनकी राशि लौटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, इसमें कई साल लग सकते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सरकार निवेशकों के हितों की पूरी सुरक्षा करेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी मामलों की गहन जांच की जाए और मजबूत केस बनाकर दोषियों को सजा दिलाई जाए।