नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025-26 प्रस्तुत किया, जिसमें भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विकास, रखरखाव और सुधार के लिए सरकार ने ₹99,858.56 करोड़ का आवंटन किया। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.78% अधिक है, जब इस क्षेत्र के लिए ₹90,958.63 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय को आवंटन
इस बजट में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए ₹99,858.56 करोड़ का आवंटन किया गया है। इसमें से ₹95,957.87 करोड़ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के लिए और ₹3,900.69 करोड़ स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए निर्धारित किए गए हैं। 2015 से अब तक, इस क्षेत्र में बजट आवंटन में 191% की वृद्धि हुई है, जो 2015 में मात्र ₹34,286 करोड़ था।
प्रमुख योजनाओं को मिला अतिरिक्त बजट
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के लिए ₹9,406 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे लाखों लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PMABHIM) को ₹4,200 करोड़ का बजट मिला है, जो देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लिए ₹37,226.92 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी। राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को ₹79.6 करोड़ और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को ₹340.11 करोड़ दिए गए हैं, जिससे डिजिटल हेल्थकेयर और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
स्वायत्त निकायों को मिला वित्तीय समर्थन
स्वायत्त निकायों को कुल ₹20,046.07 करोड़ का आवंटन किया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली को ₹5,200 करोड़ और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को ₹3,125.50 करोड़ मिले हैं।
स्वास्थ्य सेवा में बुनियादी ढांचे का विस्तार
सरकार ने 2025-26 में 200 डे-केयर कैंसर सेंटर स्थापित करने की घोषणा की है। अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में कैंसर देखभाल केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिससे कैंसर मरीजों को अपने जिले में ही उन्नत चिकित्सा सुविधाएं मिल सकेंगी।
इसके अलावा, अगले वर्ष 10,000 मेडिकल सीटें बढ़ाई जाएंगी, जिससे अगले पांच वर्षों में कुल 75,000 सीटें जोड़ने का लक्ष्य पूरा होगा। पिछले दस वर्षों में, सरकार ने मेडिकल स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा में 1.1 लाख से अधिक सीटें जोड़ी हैं, जो 130% की वृद्धि है।
'Heal in India' पहल को बढ़ावा
भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन हब के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार ने 'Heal in India' पहल को बढ़ावा दिया है। इसके तहत ₹20,000 करोड़ का आवंटन पर्यटन क्षेत्र के लिए किया गया है, जिससे मेडिकल टूरिज्म को भी बल मिलेगा। सरकार ने वीजा प्रक्रिया को सरल बनाकर और शीर्ष 50 पर्यटन स्थलों के बुनियादी ढांचे को सुधारकर अंतरराष्ट्रीय मरीजों के लिए विश्वस्तरीय उपचार को सुगम बनाने का लक्ष्य रखा है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए इम्पैक्ट पब्लिक रिलेशंस के हेल्थकेयर विशेषज्ञ और एमडी कुलप्रीत वेसुना ने बजट को स्वास्थ्य, नवाचार और आर्थिक सुधारों पर केंद्रित बताया। उन्होंने कहा कि "सशक्त आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 जैसी योजनाएं 8 करोड़ बच्चों, 1 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 20 लाख किशोरियों को पोषण सहायता देंगी।"
पीएसआरआई अस्पताल के डीजीएम फाइनेंस अनूप मेहरा ने कहा कि "मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने और वीजा प्रक्रियाओं को सरल बनाने से अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। जिला अस्पतालों में 200 डे-केयर कैंसर सेंटर की स्थापना से मरीजों को त्वरित और सुलभ उपचार मिलेगा।"
ज्यूपिटर हॉस्पिटल, पुणे के सीईओ डॉ. राजेंद्र पाटनकर ने स्वास्थ्य अवसंरचना पर सरकार के बढ़ते ध्यान को सराहा। उन्होंने कहा कि "मेडिकल शिक्षा में 10,000 नई सीटों की वृद्धि से ऑन्कोलॉजी और क्रिटिकल केयर जैसे क्षेत्रों में कुशल डॉक्टरों की कमी दूर होगी। भारत 2030 तक WHO के डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:1000 के लक्ष्य को पाने की ओर अग्रसर है।"
सिटी एक्स-रे एंड स्कैन क्लिनिक के सीईओ डॉ. आकार कपूर ने कहा कि "डायग्नोस्टिक्स स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है, और टेलीमेडिसिन इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से डिजिटल निदान व AI-आधारित रेडियोलॉजी सेवाओं में सुधार होगा। सरकार द्वारा 36 जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने और मेडिकल उपकरणों पर शुल्क कम करने का फैसला मरीजों के लिए बड़ी राहत है।"