दिल्लीः निर्मला सीतारमण एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट पेश होने से पहले इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने ‘संयुक्त कराधान’ का सुझाव दिया है। आईसीएआई ने यह सुझाव एक विवाहित जोड़ों के लिए दिया है और उन्हें एकल कर योग्य इकाई के रूप में देखे जाने का निर्देश दिया है। अमेरिका और यू.के. में पहले से ही यह व्यवस्था लागू है। इस सुझाव में यह कहा गया है कि विवाहित जोड़ों को अपनी आय को संयोजित करने का विकल्प दिया जाए।
चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग ने इस विषय में सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि “आईसीएआई ने विवाहित जोड़ों के लिए संयुक्त कराधान का सुझाव दिया है। आदर्श रुप में किसी की आय 7 लाख रूपये वार्षिक है तो उसे कर से छूट दी जाती है, यदि शादीशुदा होंगे, तो यह राशि बढ़कर 14 लाख तक हो जाएगी। क्या बजट 2025 इस नई अवधारणा को पेश करेगा?”
ICAI suggests allowing joint income tax return filing for married couples. Ideally, an individual income of ₹7 lakh is exempt from tax; if married, the exempt limit for the family would be ₹14 lakh.
Will #budget2025 introduce this new concept?
— CA Chirag Chauhan (@CAChirag) January 7, 2025
क्या है आईसीएआई का सुझाव?
आईसीएआई के सुझाव में विवाहित जोड़ों को उनकी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग व्यक्तियों के रूप में या फिर संयुक्त रूप से एक इकाई के रूप में कर देने का सुझाव दिया गया है।
प्रस्तावित टैक्स स्लैब क्या है?
सालाना 6 लाख की आय तक कोई कर नहीं।
6-14 लाख तक 5 से 6 प्रतिशत टैक्स
14-20 लाख के बीच 10 प्रतिशत टैक्स
20-24 लाख के बीच 15 प्रतिशत टैक्स
24-30 लाख के बीच 20 प्रतिशत टैक्स
30 लाख से ऊपर 30 प्रतिशत टैक्स
इसके साथ ही संयुक्त रूप से कर जमा करने को लेकर दोगुनी छूट का सुझाव दिया गया है। इसके तहत 3 लाख तक मिलने वाली छूट बढ़कर 6 लाख हो जाएगी। आईसीएआई ने सरचार्ज सीमा को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ करने की सिफारिश की है।
इसके तहत 1-2 करोड़ के बीच 10 प्रतिशत, 2-4 करोड़ के बीच 15 प्रतिशत और 4 करोड़ से अधिक पर 20 प्रतिशत सरचार्ज का सुझाव दिया है। दोनों साझेदारों को मानक कटौती से लाभ मिलेगा।
विवाहित लोगों के लिए क्या है मौजूदा नियम?
मौजूदा व्यवस्था में पति और पत्नी अलग-अलग टैक्स भरते हैं। इस वजह से अधिक कमाने वाले को अधिक टैक्स देना होता है। यह प्रणाली उन लोगों के लिए बेहतर है जहां पति-पत्नी दोनों वेतनभोगी हैं। वे दोनों अलग-अलग कटौती का दावा कर सकते हैं। दूसरी ओर एकल आय वाले परिवार इन लाभों को नहीं प्राप्त कर पाते हैं।