'बिहार हताशा की भूमि', राज्य के एकमात्र सेमीकंडक्टर कंपनी के सीईओ चंदन राज ने आखिर क्यों कहा ऐसा?

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'बिहार हताशा की भूमि', राज्य के एकमात्र सेमीकंडक्टर कंपनी के सीईओ चंदन राज ने आखिर क्यों कहा ऐसा?

चंदन राज, सुरेश चिप्स एंड सेमीकंडक्टर के सीईओ। फोटोः X (Chandanraj)

पटनाः विदेश में एक सफल करियर छोड़कर बिहार की धरती पर बदलाव का सपना लेकर लौटे चंदन राज, आज खुद को गहरी हताशा में घिरा पा रहे हैं। बिहार की पहली और एकमात्र सेमीकंडक्टर कंपनी सुरेश चिप्स एंड सेमीकंडक्टर प्राइवेट लिमिटेड स्थापित करने वाले चंदन, जो राज्य में रोजगार के नए अवसर और विकास की उम्मीद लेकर आए थे, अब प्रशासनिक अनदेखी और अव्यवस्था के बीच फंसा महसूस कर रहे हैं। चार साल से अपने कार्यालय के बाहर सड़क और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए दर-दर भटकते चंदन का सपना धीरे-धीरे टूटता जा रहा है।

चंदन राज का उद्देश्य था कि वह मुजफ्फरपुर में रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे और अपने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इसके लिए उन्होंने न केवल बिहार में सेमीकंडक्टर कंपनी की नींव रखी, बल्कि एक ऑफिस भी खोला, जहां बिहार सहित अन्य राज्यों के लोग भी काम कर रहे हैं। लेकिन जिस बिहार को उन्होंने अपने सपनों का केंद्र बनाया था, वही अब उनके लिए हताशा का कारण बन गया है।

चंदन राज ने बिहार को हताशा की भूमि करार दिया

चंदन राज ने हाल ही में X (पूर्व में ट्विटर) पर राज्य की बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक समर्थन की कमी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने पोस्ट में बिहार को "हताशा की भूमि" कहकर अपनी नाराजगी जाहिर की और बिहार में कंपनी स्थापित करने को 'जीवन की सबसे बड़ी भूल' करार दिया। हालांकि उन्होंने बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।

पोस्ट में उन्होंने लिखा था, 'जहां उनकी ये सेमीकंडक्टर की कंपनी है, उस जगह बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है, सड़कें नहीं हैं, स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है।इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं।'

सेमीकंडक्टर उद्योग में वीएलएसआई (बहुत बड़े पैमाने पर एकीकरण) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसमें लाखों सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर एक ही चिप पर जोड़े जाते हैं। लेकिन इतनी महत्वपूर्ण तकनीकी कंपनी होने के बावजूद, चंदन की कंपनी पिछले चार साल से बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। उनका कहना है कि उनके कार्यालय के सामने की सड़क बनवाने और स्ट्रीट लाइट्स लगाने की उनकी मांगों पर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया।

राज ने पोस्ट में कहा, "मैंने कई आधिकारिक ईमेल भेजे, हस्तलिखित आवेदन दिए, और लगभग हर प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यालय का दौरा किया, लेकिन कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली।" उन्होंने यह भी बताया कि जब गैंगस्टर उन्हें धमकाते हैं, तब भी पुलिस समय पर मदद के लिए नहीं आती। राज ने निराश होकर कहा, "हम यहां बुनियादी जरूरतों और अधिकारों के लिए संघर्ष करने नहीं आए हैं। यहां से सब कुछ बेचकर किसी दूसरे देश में शिफ्ट हो जाना ही बेहतर होगा।"

सुरेश चिप्स के सीईओ ने स्पष्ट रूप से बताया कि अगर राज्य प्रशासन उद्योग की मूलभूत आवश्यकताओं को नहीं समझता, तो ऐसे माहौल में किसी भी कंपनी का संचालन असंभव हो जाता है।

जिला प्रशासन की आई प्रतिक्रिया

राज की पोस्ट के वायरल होने के बाद, मुजफ्फरपुर के जिला प्रशासन ने X पर जवाब देते हुए कहा कि सड़क निर्माण के लिए प्रशासनिक मंजूरी मिल चुकी है और दशहरे के बाद काम शुरू हो जाएगा। हालांकि, चंदन राज की प्रतिक्रिया ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या बिहार सरकार इतनी निकम्मी हो गई है कि वह एक सड़क और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवा सकती?

यह स्थिति केवल चंदन राज के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी उद्यमियों के लिए एक कड़वा सच है, जो बिहार जैसे राज्य में उद्योग स्थापित करने का सपना देखते हैं।

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