नई दिल्लीः नोएडा के एक सैलून होम सर्विस स्टार्टअप YesMadam विवादों में घिर गया है। आरोप है कि कंपनी ने करीब 100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने कर्मचारियों के बीच एक सर्वे कराया था जिसमें उनसे काम के दौरान स्ट्रेस के बारे में पूछा गया था। जिन कर्मचारियों ने हां में जवाब दिया है, उनको नौकरी से निकाल दिया गया।
यह मामला तब सामने आया जब इंडिगो के डिजिटल मार्केटिंग एसोसिएट डायरेक्टर शितिज डोगरा ने लिंक्डइन पर YesMadam के एचआर विभाग द्वारा कथित तौर पर भेजे गए एक ईमेल का स्क्रीनशॉट साझा किया।
लिंक्डइन पोस्ट में शितिज डोगरा ने लिखा: “क्या कोई संगठन आपको तनावग्रस्त होने के लिए निकाल सकता है? ऐसा लगता है कि YesMadam नामक स्टार्टअप में यह हुआ है। कर्मचारियों को एचआर से एक विचित्र स्पष्टीकरण के साथ टर्मिनेशन ईमेल मिला है जिसमें तनाव का हवाला दिया गया है। यह बेहद तनावपूर्ण और परेशान करने वाली खबर है। Yes Madam, क्या हो रहा है?? 😔”
YesMadam ने ईमेल क्या है?
डोगरा द्वारा साझा किए गए स्क्रीनशॉट में YesMadam की एचआर मैनेजर आशु अरोड़ा झा का नाम लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा: “हाल ही में, हमने कार्यस्थल पर तनाव को समझने के लिए एक सर्वे किया। कई कर्मचारियों ने अपनी चिंताएं साझा कीं, जिनकी हम गहराई से सराहना और सम्मान करते हैं। एक स्वस्थ और सहायक कार्य वातावरण बनाए रखने के लिए, हमने आपकी प्रतिक्रियों पर गंभीरता से विचार किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यस्थल पर कोई तनावग्रस्त न रहे, हमने उन कर्मचारियों से अलग होने का कठिन निर्णय लिया है जिन्होंने गंभीर तनाव होने की बात कही। यह निर्णय तुरंत प्रभावी है और प्रभावित कर्मचारियों को अलग से विवरण दिया जाएगा। आपके योगदान के लिए धन्यवाद।”
कंपनी के रवैये पर लोगों में नाराजगी
कंपनी के इस रवैये को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में काफी गुस्सा है। इमेल का स्क्रीनशॉट करते हुए शितिज डोगरा और अन्य यूजर्स ने YesMadam पर काफी नाराजगी व्यक्ति की है। पोस्ट पर सैकड़ों कमेंट्स आए, जिनमें कई ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ईमानदार कर्मचारियों को निकालने के कदम की निंदा की।
ऑल इंडिया एम्प्लॉई एसोसिएशन ने कमेंट में लिखा: “आजकल लोग सिस्टम में खामियों का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। अगर आप वेतन देने में सक्षम नहीं हैं, तो भर्ती न करें। अगर आप स्वस्थ कार्यस्थल का माहौल सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो भर्ती न करें। कर्मचारियों को मानसिक रूप से परेशान मत करें।”
एक अन्य ने लिखा: “टॉक्सिक वर्क कल्चर चरम पर है। अब ईमानदारी से तनाव बताने पर नौकरी से निकाल दिया जाता है? शर्मनाक है YesMadam! काम का दबाव कम करने और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के बजाय आपने उन्हें निकालकर ‘समाधान’ किया? यह कैसी समझदारी है? भारत में अगर कंपनियां इस तरह ईमानदारी की सजा देंगी, तो सुरक्षित और सहायक कार्यस्थल की उम्मीद कैसे की जा सकती है? झूठे ‘हम आपकी परवाह करते हैं’ जैसे बयान बंद करें। वास्तविक समर्थन का मतलब है सुनना और कार्रवाई करना, न कि चुप कराना।”