ब्लिंकिट, स्विगी और जेप्टो पर ग्राहकों को भारी डिस्काउंट देने के मामले में AICPDF ने की CCI से शिकायत

इन कंपनियों पर यह आरोप तब लग रहे हैं जब जोमैटो जैसी क्विक कॉमर्स कंपनी के शेयर के दाम इस साल दोगुने हो गए हैं और स्विगी एक बड़े आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है।

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AICPDF complains to CCI about giving huge discounts to customers on Blinkit, Swiggy and Zepto

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: 10 मिनट या फिर उससे भी कम समय में सामान डिलीवरी की दावा करने वाली देश की तीन बड़ी क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायत की गई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, यह शिकायत देश में रिटेल डिस्ट्रीब्यूटरों के सबसे बड़े ग्रुप ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ-AICPDF) की ओर से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी कॉम्पिटिशन कमीशन (सीसीआई-CCI) ने की है।

एआईसीपीडीएफ ने अपनी शिकायत में तीन क्विक कॉमर्स कंपनियों पर ग्राहकों को बड़े पैमाने पर डिस्काउंट देने और लागत से कम दाम पर सामान बेचने का आरोप लगाया है।

इन कंपनियों में जोमैटो की ब्लिंकिट, स्विगी और जेप्टो शामिल हैं जिनके खिलाफ शिकायत में जांच की मांग की गई है। एआईसीपीडीएफ ने दावा किया है कि इन कंपनियों के कारोबार करने के तरीकों से पारंपरिक रिटेल ऑपरेटर प्रभावित हो रहे हैं और उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।

फेडरेशन चार लाख खुदरा डिस्ट्रीब्यूटरों का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें नेस्ले और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे प्रमुख ब्रांड भी शामिल हैं। इन कंपनियों के खिलाफ यह शिकायत तब की गई है जब हाल के कुछ सालों में क्विक कॉमर्स कंपनियों में जबरदस्त ग्रोथ देखा गया है।

इन आरोपों को लेकर इन कंपनियों के तरफ से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। मामले में सीसीआई ने जांच शुरू कर दी है।

एआईसीपीडीएफ ने अपनी शिकायत में क्या दावा किया है

रिपोर्ट के अनुसार, एआईसीपीडीएफ ने यह शिकायत 18 अक्टूबर को की है। शिकायत में दावा किया गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट दे रही हैं और अपनी लागत से कम कीमत पर उत्पादों को बेच रही हैं।

कंपनियों की इस रणनीति के कारण बाजार में पहले से कारोबार कर रहे पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं को काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे कई छोटे व्यवसायों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

पिछले कुछ सालों में जिस तरीके से भारत के क्विक कॉमर्स कंपनियों के ग्रोथ में तेजी देखी गई है, उससे उपभोक्ता के व्यवहार में भी भारी बदलाव देखा गया है। उपभोक्ता पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं के बजाय इन कंपनियों से सामान खरीदने पर ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं जिसे लेकर भी चिंता बढ़ी है।

एआईसीपीडीएफ का दावा है कि ये कंपनियां पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स को दरकिनार कर रही हैं और कंज्यूमर गुड्स कंपनियां के साथ सीधे संबंध स्थापित कर ग्राहकों को सामान बेच रही हैं।

एआईसीपीडीएफ का तर्क है कि इनकी यह नीति अनुचित है और इससे छोटे खुदरा विक्रेताओं के अस्तित्व पर असर पड़ रहा है। सीसीआई अब इस मामले की जांच कर रही है और अगर शिकायत सही पाई गई तो संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।

जोमैटो और स्विगी के ग्रोथ में हुआ है इजाफा

इन कंपनियों पर यह आरोप तब लग रहे हैं जब जोमैटो जैसी क्विक कॉमर्स कंपनी के शेयर के दाम इस साल दोगुने हो गए हैं और स्विगी एक बड़े आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है।

एक अन्य रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इन क्विक कॉमर्स कंपनियों की वार्षिक बिक्री साल 2024 में छह बिलियन डॉलर (लगभग 50 हजार करोड़ रुपए) रहने वाली है।

इस बिक्री में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी ब्लिंकिट की रहने वाली है जो 40 फीसदी तक हो सकती है। वहीं अगर स्विगी और जेप्टो जैसी अन्य क्विक कॉमर्स कंपनियों की बिक्री की अगर बात करे तो इनकी हिस्सेदारी 30-30 रहने वाली है।

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