नई दिल्ली: अदानी ग्रुप के केन्या के नैरोबी में एयरपोर्ट में निवेश और इसका संचालन करने के दिए प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस ने आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा है कि गौतम अदानी के अदानी ग्रुप का ये कदम केन्या में भारत और भारत सरकार विरोधी माहौल तैयार कर सकता है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अदानी ग्रुप के प्रस्ताव के बाद नैरोबी में जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के वर्कर्स इसका विरोध कर रहे हैं और हड़ताल पर चले गए हैं। ये वर्कर्स नई व्यवस्था आने से अपनी नौकरी को लेकर संशय में हैं।
‘द ईस्ट अफ्रीकन’ की रिपोर्ट के अनुसार अदानी एंटरप्राइजेज ने जोमो केन्याटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रबंधन को संभालने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए केन्या में एक सहायक कंपनी की स्थापना की है। कुछ रिपोर्ट के अनुसार चीन की कंपनियां भी इसी प्रोजेक्ट यानी केन्या में एयरपोर्ट प्रबंधन के काम को लेकर दिलचस्पी ले रही हैं। जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट केन्या का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
अदानी ग्रुप के केन्या में निवेश पर कांग्रेस क्यों नाराज?
केन्या में एयरपोर्ट खरीद के इस पूरे मसले को लेकर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, सोशल मीडिया पर कई लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि अगर भारतीय कंपनी इंटरनेशनल स्तर पर खुद को आगे बढ़ा रही है तो कांग्रेस को क्या दिक्कत है।
बहरहाल, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि अदानी के साथ नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दोस्ती अब पूरी दुनिया जानती है। इसलिए यह विरोध आसानी से भारत और भारत सरकार के खिलाफ गुस्से में बदल सकता है।’
केन्या के नैरोबी स्थित हवाई अड्डे का अडानी ग्रुप द्वारा प्रस्तावित अधिग्रहण ने वहां व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। केन्या एविएशन वर्कर्स यूनियन ने अपना विरोध जताने के लिए हड़ताल बुलाई है। ऐसा होना भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 3, 2024
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, ‘ऐतिहासिक रूप से भारत का सॉफ्ट पावर हमारी विदेश नीति की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक रही है। आज, अदानी ग्रुप के साथ प्रधानमंत्री की मिलीभगत ने इस ताकत को कम किया है। ऐसा होना वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक अभूतपूर्व विफलता है। यह नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दोस्ती की वेदी पर देश को मिले कई बलिदानों में से एक है।’
केन्या के हवाई अड्डे से जुड़ा प्रोजेक्ट क्या है?
दरअसल, यह पूरा विवाद केन्या के सबसे बड़े हवाई अड्डे – जोमो केन्याटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (जेकेआईए) से संबंधित है। इसे 1978 में बनाया गया था। केन्या एयरपोर्ट अथॉरिटी (केएए) के अधिकारियों के अनुसार जेकेआईए का ढांचा अब समय के साथ पुराना हो चला है। इसे और वैश्विक स्तर का बनाए रखने के लिए समय-समय पर इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर करने की जरूरत है।
शुरुआत में कई चीनी कंपनियों ने जेकेआईए पर काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल की। हालांकि, अब बीजिंग की कंपनियों की ओर से खराब टेंडर की वजह से भारतीय समूह यानी अदानी ग्रुप जेकेआईए में दूसरा टर्मिनल विकसित करने की परियोजना हासिल करने में सबसे आगे है।
इसी साल जुलाई में केन्या एयरपोर्ट अथॉरिटी ने पुष्टि की कि उसे नैरोबी में जेकेआईए हवाई अड्डे के लिए अदानी समूह से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत एक निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।
केन्या की ओर से कहा गया है कि जेकेआईए को आधुनिक बनाने में 2 बिलियन डॉलर की लागत आ सकती है। हालांकि, सरकार मौजूदा वित्तीय स्थिति के कारण इतने पैसे झोंकने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में अदानी ग्रुप से मिली पेशकश की समीक्षा की जा रही है। गौतम अदानी के स्वामित्व वाली भारतीय फर्म ने 30 साल के बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) अनुबंध के तहत दूसरा रनवे और एक नया यात्री टर्मिनल बनाने सहित हवाई अड्डे को अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया है।
अदानी समूह की सहायक कंपनी हवाई अड्डे के नवीनीकरण सहित केन्या की सबसे बड़ी और पूर्वी अफ्रीका के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे जेकेआईए का विकास और संचालन भी करेगी।
विवाद क्या है?
केन्या की सरकार ने कहा है कि अभी अदानी के प्रस्ताव की समीक्षा की जा रही है। इसके बावजूद केन्या में विरोध शुरू हो गया है। केन्या एविएशन वर्कर्स यूनियन (KAWU) और शिपर्स काउंसिल ऑफ ईस्टर्न अफ्रीका (SCEA) ने मांग की है कि सभी तरह के सौदों को तत्काल अस्थायी रूप से रोकना चाहिए ताकि उन्हें सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को पढ़ने का समय मिल सके।
वर्कर्स ने केएए अधिकारियों से जेकेआईए अधिग्रहण पर अदानी होल्डिंग्स के साथ चल रही बातचीत पर सफाई देने को कहा है। वर्कर्स के ग्रुप ने आशंका व्यक्त की है कि इस सौदे से कई लोगों की नौकरी जा सकती है और गैर-केन्याई कामगारों को लाया जा सकता है।
इस बीच विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया करते हुए केन्या की सरकार ने एयरपोर्ट के वर्कर्स को आश्वासन दिया है कि वो श्रमिकों और देश के नागरिकों के हितों की रक्षा को सुनिश्चित करेगी। साथ ही यह भी कहा गया कि हवाई अड्डा ‘बिक्री के लिए नहीं है’ और इसे अपग्रेड करने के लिए अदानी ग्रुप से प्रस्तावित पीपीपी पर आगे बढ़ना है या नहीं, इस पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।