नई दिल्लीः जनवरी 2023 में अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अदानी समूह पर स्टॉक में हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद, हाल ही में अमेरिकी अदालत में ₹2,000 करोड़ की घूस देकर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने का मामला सामने आया, जिससे अदानी समूह की 10 प्रमुख कंपनियों के निवेशकों को ₹7 लाख करोड़ (82.9 बिलियन डॉलर) का भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारी गिरावट
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में स्टॉक एक्सचेंज डेटा के हवाले से लिखा है कि, 23 जनवरी 2023 को अदानी समूह की 10 कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹19.24 लाख करोड़ (227.78 बिलियन डॉलर) था। लेकिन, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जारी होने के अगले दिन से शुरू हुई गिरावट ने 21 नवंबर 2024 तक इसे घटाकर ₹12.24 लाख करोड़ (144.87 बिलियन डॉलर) कर दिया।
21 नवंबर को ही अमेरिकी अदालत में घूसकांड के खुलासे के बाद, निवेशकों ने अदानी के शेयर बेचने शुरू कर दिए। इससे एक ही दिन में ₹2.22 लाख करोड़ का नुकसान हुआ और शेयरों में 23% तक गिरावट आई।
पहले भी आई थी भारी गिरावट
हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के बाद फरवरी 2023 तक अदानी समूह के बाजार मूल्य में 140.1 बिलियन डॉलर से घटकर 80.67 बिलियन डॉलर रह गया था। हालांकि, इसके बाद जीक्यूजी नामक कंपनी ने अदानी में ₹15,000 करोड़ का निवेश किया, जिससे जून 2024 तक समूह का बाजार मूल्य 229.87 बिलियन डॉलर (₹19.42 लाख करोड़) तक बढ़ गया।
लेकिन, हिंडनबर्ग द्वारा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर लगे नए आरोपों के कारण शेयर कीमतें फिर गिरने लगीं। हिंडनबर्ग ने “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए दावा किया कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने उन विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखी, जिनका इस्तेमाल कथित रूप से अदानी मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हुआ। हालांकि, बुच दंपति और सेबी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
कमजोर बाजार और अदानी की अस्थिरता
नवंबर 2024 तक अदानी समूह की मार्केट कैप ₹14.49 लाख करोड़ तक गिर गई, जिसमें सितंबर 2024 से अब तक सेंसेक्स में 8,800 अंकों की गिरावट का भी असर रहा। एक बाजार विशेषज्ञ ने कहा, “अदानी शेयरों में लगातार उतार-चढ़ाव ने निवेशकों में अस्थिरता और चिंता बढ़ा दी है। ऐसे शेयर खुदरा निवेशकों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकते हैं।”
निवेशकों का परिदृश्य
अदानी समूह में म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों के अलावा, एलआईसी जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाओं की भी हिस्सेदारी है। अदानी विल्मर को छोड़कर, खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से कम है। खुदरा निवेशकों के पास अदानी एंटरप्राइजेज में 2.78 प्रतिशत, एसीसी में 9.2 प्रतिशत, अदानी टोटल में 5.46 प्रतिशत, अदानी पावर में 4.8 प्रतिशत और अंबुजा सीमेंट में 4.6 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि अदानी समूह के शेयरों की अस्थिरता को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। खुदरा निवेशकों को उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो स्थिर हैं और अच्छा नकद प्रवाह (कैश फ्लो) प्रदान करती हैं। अदानी समूह पर लगातार आरोपों और बाजार की अस्थिरता ने न केवल निवेशकों का विश्वास कमजोर किया है, बल्कि शेयर बाजार में जोखिम को भी बढ़ा दिया है।