भारत में Kent RO systems की नींव रखने में एक निजी समस्या की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। घटना करीब 26 साल पहले की है जब डॉ महेश गुप्ता के बच्चे दूषित पानी पीकर बीमार पड़ गए और पानी को साफ करने के लिए एक अच्छे फिल्टर की वो बाजार में तलाश नहीं कर पाए।
घटना छोटी सी थी लेकिन इसने एक ऐसे ब्रांड को जन्म दिया जिसकी वॉटर फिल्टर के बाजार में आज 40 फीसदी हिस्सेदारी है। सिर्फ 20 हजार रुपए से ये बिजनेस शुरु हुआ जो आज 12 सौ करोड़ से ज्यादा का हो चुका है।
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इस वीडियो में केंट आरओ सिस्टम्स के सीएमडी से बात करके न केवल उनकी कामयाबी के मूल मंत्र को जानने की कोशिश की गई बल्कि ये भी पता लगाने की कोशिश की गई है कि एक स्टार्टअप को टॉप पर पहुंचाने के लिए किसी भी नए उद्यमी में क्या गुण होने चाहिए।