काठमांडूः नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ‘परंपरा’ से हटते हुए अपने पहले द्विपक्षीय दौरे के लिए चीन को चुना है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ओली अगले महीने चीन की आधिकारिक यात्रा करेंगे, जो उनके पद संभालने के चार महीने बाद उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। ओली ने पुष्प कमल दहल (प्रचंड) की अगुवाई वाली वामपंथी गठबंधन सरकार की जगह लेकर सरकार का नेतृत्व संभाला था।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली का दौरा संभवतः 2 से 5 दिसंबर के बीच होगा। उनका यह चीन दौरा भारत की उस ‘परंपरा’ से हटकर है, जिसके तहत नेपाल के नए प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा भारत से शुरू करते रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य चीन के साथ मजबूत संबंध बनाना बताया जा रहा है, लेकिन यह भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों पर असर डाल सकता है।
नेपाल भारत के लिए एक अहम पड़ोसी है। आमतौर पर भारत नेपाल के नए प्रधानमंत्री को यात्रा का निमंत्रण देता है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में न्यूयॉर्क में ओली से मुलाकात के दौरान उन्हें जल्द नेपाल आने का संकेत भी दिया था।
भारत से तनाव और चीन से लगाव!
ओली की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार के दो सबसे बड़े गठबंधन साझेदार — नेपाली कांग्रेस और ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट) — चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत परियोजनाओं को लागू करने की शर्तों को लेकर मतभेद में हैं। नेपाली कांग्रेस चाहती है कि बीआरआई परियोजनाओं को सिर्फ अनुदान के आधार पर स्वीकार किया जाए, जबकि सीपीएन-यूएमएल चीन के एक्जिम बैंक से कर्ज के आधार पर भी परियोजनाओं को स्वीकार करने के पक्ष में है।
चीन की ओर झुकाव के साथ ही ओली सरकार ने नेपाल के नक्शे के मुद्दे पर भी एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी), ने देश का नया 100 रुपये का नोट जारी करने का फैसला किया है, जिसमें नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को दर्शाया जाएगा।
इस नक्शे में भारत के तीन प्रमुख क्षेत्रों – लिम्पियाधुरा, लिपुलेख, और कालापानी – को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इसे छापने का ठेका एक चीनी कंपनी, चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को दिया गया है। यह कदम नेपाल की राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने की दिशा में देखा जा रहा है, लेकिन भारत ने इसे ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
भारत की ओर से इन क्षेत्रों पर दावा किया गया है। और 2020 में नेपाल द्वारा जारी किए गए इस नए नक्शे के कारण भारत-नेपाल संबंधों में पहले भी काफी तनाव रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि नेपाल द्वारा उठाया गया यह कदम एकतरफा है और इससे दोनों देशों के बीच स्थलीय यथार्थ नहीं बदलेगा।
भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव डालने वाले इस घटनाक्रम में एक ओर ओली सरकार की चीन यात्रा और दूसरी ओर नया मुद्रा नोट विवाद शामिल हैं। नेपाल का यह निर्णय भारत के साथ उसके ऐतिहासिक और भू-राजनीतिक संबंधों में नए तनाव ला सकता है।