Saturday, October 18, 2025
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पुस्तक समीक्षा: पेड़ होने के बहाने एक स्त्री क्या पाना चाहती है

साल 2007 में कोरियाई भाषा में छपी किताब दि वेजेटेरियन का अनुवाद जब ब्रिटिश अनुवादक देबोराह स्मिथ ने साल 2015 में किया तो इस अनुवाद और लेखिका की लेखन शैली को अंग्रेजी भाषा के दिग्गज आलोचकों और विद्वानों की भरपूर सराहना मिली। इसी साल स्मिथ ने अपने नये पब्लिशिंग हाउस टिल्टेड एक्सिस की स्थापना भी की। ये उनके अनुवाद की आरंभिक किताब थी जिसने अंग्रेजी में आते ही साल 2016 का प्रतिष्ठित मान बुकर पुरस्कार हासिल किया। दक्षिणी कोरिया के इस उपन्यास को साहित्य जगत में इतना पसंद किया गया कि 2024 में इसने कोरिया का पहला नोबल पुरुस्कार साहित्य में हासिल कर लिया। आज इस किताब पर समीक्षात्मक टिप्पणी कर रही हैं जया निगम-

साल 2007 में कोरियाई भाषा में छपी किताब दि वेजेटेरियन का अनुवाद जब ब्रिटिश अनुवादक देबोराह स्मिथ ने साल 2015 में किया तो इस अनुवाद और लेखिका की लेखन शैली को अंग्रेजी भाषा के दिग्गज आलोचकों और विद्वानों की भरपूर सराहना मिली। इसी साल स्मिथ ने अपने नये पब्लिशिंग हाउस टिल्टेड एक्सिस की स्थापना भी की. ये उनके अनुवाद की आरंभिक किताब थी जिसने अंग्रेजी में आते ही साल 2016 का प्रतिष्ठित मान बुकर पुरस्कार हासिल किया। दक्षिणी कोरिया के इस उपन्यास को साहित्य जगत में इतना पसंद किया गया कि 2024 में इसने कोरिया का पहला नोबल पुरुस्कार साहित्य में हासिल कर लिया।

इस तरह दुनिया ने कोरियाई लेखिका हैन कैंग के उपन्यास के जरिये दक्षिणी एशिया की महिलाओं की पितृसत्तात्मक संस्कृति में धंसी अपनी दमित पहचान और औपनिवेशिक हिंसा से छुटकारे के स्वप्न के साथ हर दिन होती जंग में रोज़ हारते जाने के बावजूद प्रकृति के साथ अपने अस्तित्व के एकाकार होने के सपने को जीने की कहानी जानी। ये उपन्यास भले ही अपनी भाषा में सहज जनाना सलीके से अपनी कहानी कहता लगता है। लेकिन इसके तीन अध्याय तीन अलग दुनिया हैं। लेखिका ने ये पूरी कहानी तीन अलग नज़रियों के साथ पाठकों के सामने रखी है।

पहला अध्याय दि वेजेटेरियन येआंग हाई यानी नायिका के पति चेआंग के नज़रिये से है, जो दुनिया के तमाम उन मर्दों का नज़रिया दिखाता है जिन्हे शादी के लिये अपनी दुनिया में सिमटी, कम बोलने वाली और उनकी सफल जिंदगी को सुखी बनाये रखने के लिये हर संभव कोशिश करने वाली औरतें चाहिये होती हैं।

येआंग हाई, चेआंग के जीवन में बिल्कुल वैसी ही औरत है, जो गृहस्थी के सारे काम यानी स्वादिष्ट खाना पकाने, ग्राफिक डिजाइनिंग के काम के जरिये अपनी छोटे मोटे खर्चे पूरे करने के अलावा किताबों की अपनी दुनिया में सिमटे रहती है। चेआंग के मुताबिक किसी भी तरह की दुनियादारी से दूर खुद में सिमटे रहना ही उसकी बीवी की सबसे बड़ी खूबी है।

दूसरा अध्याय में लेखिला हैन कैंग, दि मंगोलियन मार्क के जरिये नायिका येआंग हाई के बहनोई के नज़रिये से अपनी कहानी कहती हैं। यहां एक कलाविद पुरुष का अपनी साली के नितंबों पर मौजूद स्याह-धूसर रंग के एक ऐसे निशान के प्रति उसका आसक्त हो जाना है कि वह अपनी साली की दिमागी हालात के बावजूद उसकी सहमति हासिल कर उस निशान को केंद्र में रख कर अपने एक कलात्मक प्रयोग को पूरा करता है। इस प्रयोग में वो न केवल उसके साथ सहवास करता है बल्कि उसे कैमरे में रिकॉर्ड भी करता है।

कथानक कुछ इस तरह बढ़ता है कि उपन्यास का तीसरा अध्याय फ्लेमिंग ट्रीज़ येआंग हाई के बहन के नज़रिये से इस कथाक्रम की आगे की कहानी कहता है, इस अध्याय में लेखिका नायिका के स्वप्नदर्शी, कलाविद बहनोई की दृष्टि से लिखे पूरे घटनाक्रम को उसकी बहन के दृष्टिकोण से कहती है। जिससे उस पूरे वाकये का एकदम नया सिरा पाठकों के सामने खुलता है।

उपन्यास के इसी हिस्से में धीरे धीरे ये भी खुलता है कि इन हाई जो नायिका की बड़ी बहन है अपनी बहन की दिमागी हालत को सीज़ोफ्रनिया से जोड़ कर देखती है और इसलिये वो अपने पति को अपनी बहन की दिमागी हालत का फायदा उठाने का दोषी मानती है। जबकि येआंग हाई जो वास्तविक दुनिया से पूरी तरह कटी अपने अंतर्जगत में खुद के पेड़ होने और उसी तरह से फलने-फूलने के सपने में कैद है। वो इंसान होने के सच को भूल चुकी है।

जिंदगी के खत्म रास्ते

इन हाई के एकल आलापों के जरिये इस नॉवेल को येआंग हाई के नज़रिये से समझने के कुछ सिरे भी खुलते हैं। मसलन इन हाई सोचती है कि वो खुद येआंग हाई की जगह हो सकती थी अगर उसके बेटे की जिम्मेदारी उसके पास न होती। बचपन में वो घर के माहौल से निकल कर अपने स्टोर में व्यस्त न होती। मतलब उसे जीवन जीने के नये बहाने मिले गये लेकिन येआंग हाई इस तरह का कोई रास्ता अपने लिये नहीं तलाश पायी। और घर के सख्त माहौल में घुटते हुए अपने खोल में सिमटती गयी।

इन हाई अपने बचपन के कई टुकड़ों को याद करती है कि कि येआंग हाई बचपन से अपने पैतृक घर के सख्त सैन्य अनुशासन और हिंसक माहौल से दूर जंगलों में पेड़ों के बीच ही खुद को तलाशने के सपने देखती थी। कैसे उसके बचपन की यादों में येआंग हाई का पूरा व्यक्तित्व घर के इस माहौल की भेंट चढ़ गया और वो खुद में सिमटती चली गयी।

बड़ी बहन इन हाई इस माहौल में खुद को ढालने के लिये एकदम कर्तव्यनिष्ठ कोरियाई महिला बनती चली गयी जबकि उसका भाई जो पितृसत्तात्मक ढांचे के अनुरूप हिंसक और पैतृक मूल्यों से संरक्षित था अपना रास्ता घर के बाहर बनाता चला गया। जबकि सबसे छोटी बहन इन हाई इन दोनों ही तरीकों से लैस नहीं हो सकी और किसी रास्ते को न निकाल पाने के चलते अपनी ही दुनिया में सिमटते हुए सपनों की दुनिया में ही रहने लगी। पति के यूज़ एंड थ्रो वाले रवैये ने उसका वास्तविक जिंदगी से संबंध बिल्कुल खत्म कर दिया और वो पूरी तरह अपने सपनों में खो गयी।

अंतिम शरणस्थली प्रकृति: पेड़, हवा, धूप, पानी

यथार्थ और वास्तविक दुनिया से उसके व्यक्तित्व का कोई संपर्क ही नहीं बचा। उसका अस्तित्व केवल प्रकृति में विलीन होने के सपने में निहित है। वह अपने इंसान होने के यथार्थ से पूरी तरह कट गयी है। उसके हिसाब से वो एक पेड़ है और सिर के बल खड़े रह कर वो अपने बालों को पेड़ की जड़ों की तरह धरती में धंसे होने और अपना जीवन,पानी और हवा पर निर्भर होने का अभ्यास करती रहती है।

ज़ाहिर है कि इसके लिये उसे किसी भी तरह के इंसानी खाने और खासकर गोश्त या मांस खाने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। बल्कि मांस जो कोरियन समाज के आहार का मुख्य तत्व है। उसके प्रति उसकी गहरी अरुचि दरअसल कोरियाई समाज के आधारभूत मूल्य से उसका विद्रोह है।

पिता के जबर्दस्ती गोश्त खिलाने पर कलाई काटना अपने जीवन को इस तरह जीने के प्रति उसका विद्रोह है। ब्रा पहनने से विरोध होना कोरियाई समाज में स्त्री की पारंपरिक छवि ढोने से विद्रोह है।

टॉपलेस होकर सीधे धूप की रोशनी में बैठना खुद को पेड़ समझने से ज्यादा, पितृसत्तात्मक व्यवस्था द्वारा स्त्री के लिये किसी भी प्राकृतिक अवयव से जुड़ने के निषेध के पितृसत्तामक मूल्य की अवमानना है। सिर्फ पानी से मोह होना, अपने हिस्से की जिंदगी अपनी मर्जी से जीने की हर जीव की बेसिक इंसटिक्ट दर्शाती है।

पूंजीवादी पितृसत्ता के नियंत्रण,लालच और दोहन से मुक्ति का स्वप्न

अपने हिस्से की धूप, हवा, पानी अपनी मर्जी से लेने की चाहत एशियाई समाज में महिलाओं के लिये कितनी विस्फोटक साबित होती है इसके उदाहरण खुद इसी नॉवेल में द मंगोलियन मार्क में उपस्थित है। जिसमें खुद येआंग हाई के बहनोई की उस पुरुष नज़र (मेल गेज़) का विवरण है जो इस नॉवेल में पुरुषों की सेक्सुअल फैंटेसी को सैटिस्फाई करने के बहाने उस खतरे को दिखाता है जो एशियाई महिलाओं के लिये परिवार के मुखिया के संरक्षण की खिलाफत करते ही अपने निकटतम पुरुषों द्वारा शुरू होता है। किसी अरक्षित महिला के लिये एशियाई समाज में पाया जाने वाला ये द्वैत इतना खतरनाक है कि महिला का अपना अस्तित्व परिवार नाम की संस्था से बाहर कभी शुरू ही नहीं हो पाता।

हैन कैंग का नॉवेल अपनी अनूठी लेखन शैली की वजह से ये द्वैत उकेरने में बेहद सफल रहा है। बिना नायिका का दृष्टिकोण साझा किये ही लेखिका उसकी कहानी अपने पाठकों तक पहुंचा देती हैं। हालांकि ये नॉवेल समझना उन पाठकों के लिये मुश्किल होगा जो इस नज़र का फर्क समझ नहीं पाये। हैन कैंग बहुत आहिस्ता से अपने तीसरे अध्याय में रेज़ा रेज़ा खुद को जाहिर करती हैं कि पितृसत्ता की स्त्री के शरीर पर नियंत्रण की ये चाहत और उसकी ‘सत्तालोलुप नज़र प्रकृति से स्त्री के प्राचीनतम संबंध को खत्म करने में सबसे बड़ी खलनायक है।

जिस तरह येआंग हाई अपने समूचे जीवन को लुटा कर भी खुद को पेड़ बना देना चाहती है। अपने पनपने के लिये सिर्फ अपने हिस्से की धूप, हवा, पानी चाहती है उसी तरह प्रकृति भी पुरुष के लोभ, आसक्ति और दमन का हर पल विरोध करती है। इसी बिंदु पर ये नॉवेल पूंजीवादी पितृसत्ता की व्यवस्था से विद्रोह करती प्रकृति के साथ एकात्म होने का स्वप्न देखती स्त्री के पक्ष में खड़ा हो जाता है।

फ्लेमिंग ट्रीज़ नाम का ये तीसरा अध्याय, इसी बहस को समझने का एक तीसरा सिरा है।

प्रकाशन – ग्रांटा प्रकाशन,
लेखिका: हैन कैंग
मूल्य: 499 रुपए,
विधा: उपन्यास
मूल भाषा: कोरियाई

जया निगम
जया निगम
जया निगम, स्वतंत्र पत्रकार और नवोदित लेखक हैं, वर्तमान में स्पेनिश भाषा का अध्ययन कर रही हैं।
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