मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय कला जगत के दिग्गज कलाकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की सात कलाकृतियों को अश्लील करार देकर जब्त करने वाले कस्टम्स विभाग को तत्काल इन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हर नग्न चित्र या संभोग मुद्रा को अश्लील नहीं माना जा सकता।”
जब्त कलाकृतियों की सांस्कृतिक महत्ता
इन जब्त कलाकृतियों में सूजा के चार चित्रों का एक फोलियो शामिल है, जिसमें प्रेमी युगल के कुछ इरॉटिक चित्र हैं, और पद्मसी के तीन चित्र हैं, जिनमें एक ड्राइंग “न्यूड” और दो फोटोग्राफ्स शामिल हैं। सूजा और पद्मसी, प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के महत्वपूर्ण सदस्य रहे हैं, जिन्होंने भारतीय कला में यूरोपीय आधुनिकता का परिचय दिया था। उनकी कलाकृतियाँ भारत में संग्रहकर्ताओं के बीच बेहद मूल्यवान मानी जाती हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
साल 2022 में मुंबई के व्यवसायी मुस्तफा कराचीवाला ने स्कॉटलैंड में हुई एक नीलामी में ये कलाकृतियाँ खरीदीं। इसके बाद उन्होंने लंदन के रोजबरीज नीलामी में अकबर पद्मसी की तीन नग्न महिला की कलाकृतियाँ खरीदीं। जब उन्होंने इन्हें मुंबई लाया, तो कस्टम्स विभाग ने इन्हें “अश्लील” बताते हुए जब्त कर लिया और कराचीवाला पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया।
अदालत का फैसला
जुलाई 2024 में मुंबई कस्टम्स द्वारा जारी आदेश को निरस्त करते हुए, न्यायाधीश एमएस सोनाक और जितेंद्र जैन की पीठ ने कहा कि यह आदेश “अवास्तविक और अनुचितता” से भरा हुआ है। न्यायालय ने सवाल उठाया कि अगर सूजा के ये चित्र जब्त किए जा सकते हैं, तो फिर यूरोप और अमेरिका के महान कलाकारों के चित्रों का क्या होगा? कोर्ट ने साथ ही यह भी पूछा कि खजुराहो और कोणार्क जैसे भारतीय मंदिरों की कला को कैसे देखा जाएगा।
कराचीवाला के वकीलों ने तर्क दिया कि ये कलाकृतियाँ राष्ट्रीय धरोहर हैं और इन्हें अश्लील नहीं माना जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि यूके के कस्टम्स ने इन्हें भारत के लिए एक्सपोर्ट करने की मंजूरी दी थी। हाई कोर्ट का यह निर्णय कला प्रेमियों और संग्रहकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।
कलाकृतियों की सुरक्षा पर कोर्ट की चिंता
न्यायालय ने कस्टम्स विभाग को निर्देशित किया कि वे कलाकृतियों को नष्ट न करें और उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करें। कोर्ट ने इस पर भी चिंता जताई कि विभाग ने इन कलाकृतियों को किस स्थिति में रखा होगा।