रांची: बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन की एकजुटता के दावों को करारा झटका देते हुए हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अकेले मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने कहा है कि वह बिहार विधान सभा चुनाव में छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। झामुमो के एक प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी क्योंकि उसे चुनाव लड़ने के लिए अपेक्षित 12 सीटें नहीं मिलीं और बिहार में महागठबंधन अभी भी सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाने के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है।
झामुमो ने चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), पीरपैंती, मनिहारी (एसटी) और जमुई विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया झामुमो महागठबंधन के तहत चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी ने अभी तक इन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इन सभी सीटों पर 11 नवंबर को बिहार चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होना है। गौरतलब है कि पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि शुक्रवार को समाप्त हो गई।
झारखंड में भी गठबंधन की समीक्षा करेगा झामुमो!
झामुमो के कदम ने महागठबंधन के भीतर की दरार को और बाहर ला दिया है। हालांकि, बिहार में झामुमो का बड़ा मतदाता आधार नहीं है, लेकिन पार्टी ने इस बात पर जोर दिया है कि अब समय आ गया है कि झारखंड में भी गठबंधन की समीक्षा की जाए।
झामुमो प्रवक्ता भट्टाचार्य ने जोर देकर कहा, ‘कई सीटों पर अंदरूनी कलह है। हम राज्य में भी गठबंधन की समीक्षा करेंगे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात किया है। हम चुनाव जीतेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बिहार में अगली सरकार झामुमो की सहमति के बिना न बने।’
भट्टाचार्य के बयान के बाद भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के अहंकार की वजह से महागठबंधन को भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘बिहार में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और यह भी घोषणा की है कि वह अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। इतना ही नहीं, पार्टी ने यह भी कहा है कि बिहार चुनाव के बाद झारखंड में गठबंधन पर भी पुनर्विचार किया जाएगा। राहुल और तेजस्वी का अहंकार ही महागठबंधन टूटने की असली वजह है। बिहार बच गया।’
महागठबंधन में कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन!
अमित मालवीय की बात को दोहराते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा कि महागठबंधन में असमंजस की स्थिति है, क्योंकि गठबंधन के भीतर के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।
बता दें कि सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध के कारण कई निर्वाचन क्षेत्रों में महागठबंधन में शामिल दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे हाई-वोल्टेज विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन में दरार और गहरी होती नजर आ रही है।
वैशाली में कांग्रेस के संजीव कुमार का मुकाबला राजद के अजय कुशवाहा से होगा। जबकि लालगंज में राजद की शिवानी शुक्ला कांग्रेस के आदित्य कुमार राजा को चुनौती देंगी। ऐसे ही बछवाड़ा, कहलगांव, गौरा बौराम, रोसड़ा, राजापाकर और बिहारशरीफ में भी इसी तरह के टकराव की संभावना है, जहाँ कांग्रेस, राजद, भाकपा, भाकपा-माले और वीआईपी के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं।
महागठबंधन में सीट-बंटवारे पर नहीं बनी बात
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर उठे विवाद के बीच राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लालू प्रसाद यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी मिलकर हल निकालने की कोशिश की, लेकिन नतीजा नहीं दिख रहा। सूत्रों के अनुसार राजद कथित तौर पर कांग्रेस को 60 सीटें देने पर सहमत हो गई थी, लेकिन कहलगाँव, नरकटियागंज और वासलीगंज जैसी प्रमुख सीटों पर अपना कब्जा बनाए रखने पर अड़ी रही।
राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के बाद शुरू में आक्रामक रुख अपनाने वाली कांग्रेस ने बाद में अपना रुख नरम करते हुए बछवाड़ा से गरीब दास सहित 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी, जबकि अंतिम सहमति नहीं बनी थी।
इसके अलावा, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के आने से महागठबंधन में सीट बंटवारे की बातचीत और जटिल हो गई। सूत्रों के अनुसार सहनी की पार्टी 60 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का भी वादा चाहिए था। दूसरी ओर कांग्रेस ने वीआईपी के पास सांसदों या विधायकों की कमी का हवाला देते हुए इस मांग पर सवाल उठाया।
भाकपा-माले ने भी तेजस्वी यादव की 19 सीटों की पेशकश को अस्वीकार कर दिया और 2020 में 19 में से 12 सीटों पर जीत के अपने मजबूत प्रदर्शन के आधार पर 30 से अधिक सीटों की मांग की थी। पार्टी ने शनिवार को 20 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी। बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरण में मतदान होने हैं। नतीजे 14 तारीख को आएंगेष