Friday, November 14, 2025
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बिहार में कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन AIMIM कर गई! सीमांचल में फिर दिखाई अपनी मजबूती

असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में शुरुआत में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना की घोषणा की थी। हालाँकि, AIMIM ने आधिकारिक तौर पर 25 उम्मीदवार ही उतारे, जिनमें दो गैर-मुस्लिम भी शामिल थे।

पटना: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करती नजर आई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार पार्टी दो सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है, जबकि तीन पर आगे चल रही है। इन तीनों सीट पर भी जीत लगभग पक्की मानी जा रही है क्योंकि वोटों का अंतर काफी ज्यादा है।

ये समाचार लिखे जाने तक (शाम 5.30) किशनगंज के बहादुरगंज से एआईएमआईएम के तौसिफ आलम 28 हजार से ज्यादा वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं। इसके अलावा बायसी सीट पर भी AIMIM के गुलाम सरवार 18 हजार से अधिक वोटों से आगे हैं। इस सीट पर हालांकि अभी 5 राउंड की गिनती बाकी है। इसके अलावा एआईएमआईएम तीन सीटों- अररिया के जोकिहाट और किशनगंज के कोचाधामन और पूर्णिया के अमौर से जीत हासिल कर चुकी है। अमौर से अख्तारुल इमान करीब 38 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की है।

25 सीटों पर AIMIM ने उतार थे उम्मीदवार

कई कोशिशों के बाद भी महागठबंधन में जगह हासिल करने में नाकाम रहे पार्टी ओवैसी ने बिहार में शुरुआत में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना की घोषणा की थी। हालाँकि, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर 25 उम्मीदवार ही उतारे, जिनमें दो गैर-मुस्लिम भी शामिल थे, जो सीमांचल में अपने मुस्लिम मतदाता आधार से आगे बढ़ने का एक प्रयास था।

पिछली बार साल 2020 में AIMIM ने इस क्षेत्र में पाँच सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया था। हालांकि, बाद में चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे पार्टी में केवल अमौर से अख्तरुल इमान ही बचे रह गए थे।

AIMIM का प्रदर्शन…कांग्रेस से भी अच्छा!

अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया को मिलाकर बने सीमांचल में 24 विधानसभा क्षेत्र हैं और बिहार की मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा यहीं बसता है। एआईएमआईएम के लिए यह क्षेत्र लंबे समय से राज्य में अपने राजनीतिक विस्तार के लिए एक लॉन्चपैड रहा है। 2025 के रुझान बताते हैं कि पार्टी संगठनात्मक असफलताओं और दलबदल के बावजूद अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में कामयाब रही है।

दिलचस्प ये भी है कि एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान भी यह क्षेत्र चर्चाओं में रहा था। इसके बावजूद AIMIM ने अपनी मजबूती यहां फिर से दिखाई है। एक लिहाज से देखें तो सीमांचल में जिस तरह का प्रदर्शन AIMIM ने किया है, वो कांग्रेस से भी बेहतर है जिसने 60 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस भी पांच से छह सीटें ही इस चुनाव में जीत सकती है। वैसे, वोट प्रतिशत के मामले में जरूर कांग्रेस (9 प्रतिशत) जरूर एआईएमआईएम (1.96 प्रतिशत) से कहीं आगे है लेकिन ये उसकी ज्यादा सीटों पर चुनावी ताल ठोकने की वजह से हो सकती है।

बिहार में भाजपा की ऐतिहासिक जीत!

इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। एनडीए लगभग 200 सीटों पर आगे चल रहा है, यह बहुमत के आंकड़े 122 से काफी ऊपर है।
भाजपा अकेले 92 निर्वाचन क्षेत्रों में आगे चल रही है, जो पिछले 45 वर्षों में बिहार में पार्टी की ऐतिहासिक जीत का संकेत है।

2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 में से 206 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भारी जीत हासिल की थी, जिसमें जदयू ने 115 और भाजपा ने 91 सीटें जीती थीं। हालांकि, 2015 में तस्वीर बदल गई जब नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन के गठन के बाद भाजपा 53 सीटों पर सिमट गई थी।

वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिला। एनडीए 125 सीटों के साथ बहुमत से थोड़ा ही ऊपर पहुंच पाया, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। इस चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, उसके बाद भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी। जदयू 43 सीटों पर सिमट गई थी।

हालांकि, 2025 के नतीजे उस पैटर्न के एकदम उलट हैं। भाजपा ने अपनी खोई हुई जमीन वापस पा ली है। जबकि राजद को बड़ा झटका लगा है। बताते चलें कि भाजपा ने 2005 में 37 सीटें, 2000 में 67 सीटें, 1995 में 41 सीटें, 1990 में 39 सीटें, 1985 में 16 सीटें और 1980 में 21 सीटें जीती थीं।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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