पटना: बिहार के नवादा अग्निकांड में जिनके घर लूटे और जलाए गए, वो महादलित थे। वो मुसहर और रविदास समाज से आते थे लेकिन जिन्होंने घर लूटा और जलाया वो भी दलित समुदाय से आने वाले पासवान थे।
यानी लड़ाई दलित बनाम महादलित हो गई। इस घटना ने शोषण की आधारभूमि बदल दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या जाति युद्ध की लपटों में अक्सर घिरने वाले बिहार में दबंगों की परिभाषा बदल गई है।
बिहार में सामाजिक न्याय के मसीहा बात बात में दबंगों के नाम पर जिन अगड़ी जाति के लोगों को कठघरे में खड़ा करते थे, क्या बिहार का नवादा अग्निकांड उनकी राजनीति पर एक बड़ा प्रश्नवाचक चिह्न है। क्या बिहार में मत्स्य न्याय व्यवस्था चल रही है जिसमें बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है।
और ऐसा क्यों है कि दलितों के नाम पर जोर शोर से आवाज उठाने वाले सभी बड़े विपक्षी नेताओं की अब इस मामले में बोलती बंद हो गई है। बोले भारत के इस वीडियो में इन्हीं सवालों का गहन विश्लेषण किया जाएगा।