पटनाः शराबबंदी को 8 साल हो चुके हैं लेकिन बिहार में जहरीली शराब के सेवन से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर और मोहम्मदपुर इलाकों में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से दो और लोगों की मौत हो गई, जिससे इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है। यह घटना सिवान और सारण जिलों से सटी सीमा पर हुई, जहां पहले ही 35 लोग इस जहरीली शराब का शिकार हो चुके हैं।
तीन जिलों में अब तक 37 मौतें, जांच के लिए एसआईटी गठित
गोपलगंज के पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित ने पुष्टि की कि बैकुंठपुर और मोहम्मदपुर में दो और मौतें हुई हैं। इन मौतों के बाद प्रशासन ने जांच के लिए दो विशेष जांच टीमों (एसआईटी) का गठन किया है, जो शराब या जहरीली शराब पीने वालों की पहचान कर रही हैं। पुलिस ने अब तक 200 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है और 90 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं। इस बीच, सिवान जिले के मघर और औरीया पंचायतों में 28 लोगों की मौत और सारण जिले के इब्राहिमपुर में 7 लोगों की मौत हो चुकी है। 25 से अधिक लोग अब भी अस्पतालों में अपनी जान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला जारी
वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है। पिछले साल भी 51 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई थी। साल 2022 में 115 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई थी। इसी तरह 2021 में भी जहरीली शराब के सेवन से 74 लोगों ने जान गंवाई थी।
विपक्ष ने शराबबंदी पर उठाए सवाल
ताजा घटना के बाद, बिहार में विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नीतीश कुमार की सरकार द्वारा 2016 में लागू की गई शराबबंदी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि राज्य में शराबबंदी के बावजूद शराब का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, जिससे सत्ताधारी दल को फायदा हो रहा है। यादव ने कहा, “बिहार में शराबबंदी के नाम पर एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है, जो लगभग 30,000 करोड़ रुपये की है। इसका सीधा लाभ जनता दल (यूनाइटेड) और उसके नेताओं को मिल रहा है।”
तेजस्वी यादव का नीतीश सरकार पर आंकड़ों से हमला
तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद शराब पीने वालों की संख्या महाराष्ट्र से अधिक है। उनके मुताबिक, बिहार में 15.5% लोग शराब का सेवन करते हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 13.9% है, जहां कोई शराबबंदी नहीं है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि राज्य में प्रतिदिन 400 से अधिक लोग शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार होते हैं और करीब 6,600 छापे मारे जाते हैं। इसके बावजूद, अवैध शराब का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
शराबबंदी सिर्फ दिखावा, लीकर बैन को हटा देना चाहिएः प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी बिहार में शराबबंदी को दिखावा बताया है। उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ शराब की दुकानें बंद हैं, घर-घर में शराब बिक रही है। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि शराबबंदी से बिहार के भ्रष्ट अधिकारियों, नेताओं और शराब माफियाओं को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर कोई कानून का प्रावधान नहीं है, लोग अपने घरों में शराब बना रहे हैं और पी रहे हैं। इससे सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये का अलग नुकसान है। इसलिए जन सुराज शराबबंदी को हटाने के लिए कह रहा है।
नीतीश सरकार के मंत्री ने क्या कहा?
बिहार सरकार के मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि समाज को इस समस्या के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हम मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं और समाज को जागरूक करने की कोशिश करेंगे ताकि लोग शराब का सेवन न करें।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी और ऐसे लोगों को सख्त सजा दिलाएगी जो इस अवैध कारोबार में शामिल हैं।
वहीं, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल ने शराबबंदी को अपराध और महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शराबबंदी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस घटना के दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। पुलिस ने राज्यभर में शराब तस्करी पर नकेल कसने के लिए एंटी-लिकर टास्क फोर्स का गठन किया है।
एंटी-लिकर टास्क फोर्स के बावजूद अवैध शराब का व्यापार फल-फूल रहा!
इसी साल जनवरी में शराब जब्ती से जुड़े आंकड़े शेयर करते हुए पुलिस मुख्यालय के अतिरिक्त महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा था कि 2023 में बिहार में रोजाना 10,000 लीटर से अधिक शराब जब्त की गई, जिसमें देशी और भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) शामिल हैं।
गंगवार ने बताया कि पुलिस ने 2023 में 72,062 प्राथमिकी दर्ज कीं और 1.43 लाख लोगों को गिरफ्तार किया। साथ ही 17,183 वाहनों (ट्रक और कंटेनर) को अवैध शराब के साथ जब्त किया गया। उन्होंने यह भी बताया था कि 2023 में शराब से संबंधित मामलों में दर्ज एफआईआर की संख्या 2022 की तुलना में 25% कम थी और गिरफ्तारियों में 16% की कमी आई, लेकिन जब्त की गई अवैध शराब की मात्रा 19% अधिक रही। नवंबर 2016 से नवंबर 2023 तक, 1,215 शराब से जुड़े मामलों में 1,522 लोगों को दोषी ठहराया गया।
राज्य में अवैध शराब व्यापार पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने 180 एंटी-लिकर टास्क फोर्स टीमों के अलावा 25 स्निफर डॉग स्क्वाड गठित किए हैं। साथ ही ड्रोन, स्पीडबोट, सीसीटीवी कैमरे और चेक-प्वाइंट पर स्कैनर भी लगाए गए हैं। हालांकि, राज्य के कई हिस्सों में अभी भी शराब की बोतलें और पाउच आसानी से उपलब्ध हैं, जो ज्यादातर पड़ोसी राज्यों जैसे झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, पंजाब, हरियाणा और नेपाल से तस्करी के माध्यम से लाई जाती हैं।