पटना: बिहार चुनाव में मतदान के बाद अब नजरें नतीजों पर हैं। वोटों की गिनती राज्य में बनाए गए सभी 46 मतगणना केंद्रों पर सुबह 8 बजे शुरू हो गई। एग्जिट पोल पहले ही सामने आ चुके हैं और ज्यादातर में एनडीए की जीत के अनुमान जताए गए हैं। इनका औसत देखा जाएगा 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए के खाते में 145 से 150 सीटें आने का अनुमान है। बहरहाल, इस चुनाव से पहले और अब भी चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की भी खूब चर्चा है।
एनडीए का हिस्सा लोजपा (आर) के चुनाव से पहले जदयू और नीतीश कुमार के साथ कथित तौर पर कुछ खटपट जैसी खबरें आ रही थीं। बीच-बीच में चिराग पासवान के सीएम उम्मीदवारी को लेकर भी खबरें उड़ी लेकिन सार्वजनिक रूप से सब ठीक-ठाक नजर आया। चिराग पासवान की पार्टी ने इस बार एनडीए गठबंधन में रहते हुए 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और ज्यादातर एग्जिट पोल में पार्टी के खाते में 10 से ज्यादा सीटें आने का अनुमान जताया गया है। इसे बहुत अच्छा भी नहीं कहा जा सकता। कुछ एग्जिट पोल में उन्हें 10 से भी कम सीटें दी गई हैं। लेकिन पार्टी के लिए इससे बेहतर नतीजे आते हैं तो ये बड़ी बात होगी।
2020 में अकेले मैदान में उतरे थे चिराग पासवान
साल 2020 में लोजपा (आर) ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था। पार्टी 137 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। हालांकि, कई सीटों पर पार्टी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वोटों में सेंध लगाने में कामयाब रही, जिससे उसकी सीटें 2015 में मिली 71 सीटों से घटकर सिर्फ 43 रह गई थी।
यह सही है कि एग्जिट पोल हमेशा सही नहीं होते। लेकिन लोजपा (आर) को उम्मीद है कि उन्हें नीतीश कुमार के नीचे उप-मुख्यमंत्री पद की माँग करने लायक वोट मिलेंगे। चिराग पासवान ने पहले ही कहा था कि अगर एनडीए को अच्छा वोट मिलता है, तो उनकी पार्टी मुख्यमंत्री के बाद सबसे बड़े पद पर दावा करेगी।
कुछ एग्जिट पोल ये भी बता चुके हैं कि 43 साल के चिराग जो खुद को युवा बिहारी कहते हैं, राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए तीसरी पसंद भी हैं। वैसे, चिराग पहले ही साफ कर चुके हैं कि चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, वे एनडीए के साथ ही रहेंगे। चिराग बार-बार खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ भी कहते रहे हैं।
इससे पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि भाजपा 74 वर्षीय नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी की तलाश में है और लोजपा प्रमुख शीर्ष उम्मीदवार हो सकते हैं। भाजपा द्वारा लोजपा को दी गई 29 सीटों के कारण, यह बात कई लोगों के मन में खासी चर्चा का विषय बनी हुई थी। लेकिन बाद में पासवान समर्थकों की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए, एनडीए की ओर से कहा गया कि नीतीश कुमार इस कार्यकाल के लिए शीर्ष पद पर बने रहेंगे।
रामविलास पासवान में 2000 में बनाई थी पार्टी
दिवंगत रामविलास पासवान ने 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था। शुरुआत में पार्टी एनडीए का हिस्सा थी, जिसकी उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार थी। गोधरा दंगों के बाद 2002 में लोजपा एनडीए से अलग हो गई और 2004 में यूपीए में शामिल हो गई थी। तब तत्कालीन पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान ने यूपीए सरकार में प्रमुख मंत्री पद भी संभाले।
रामविलास पासवान को कई लोग राजनीति के ‘मौसम विज्ञानी’ के रूप में भी देखते थे जो राजनीतिक हवा के रुख का अनुमान लगाते हुए अपना पाला बदल लेते थे। साल 2014 में, वह एनडीए में वापस आ गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में भी प्रमुख विभाग संभाले।
हालांकि, उनके निधन के बाद लोजपा दो हिस्सों में बंट गई। चाचा पशुपति पारस के साथ विवाद के बाद ऐसा लगा था कि राजनीति में चिराग पासवान के अब कुछ दिन बचे हैं। लेकिन चिराग पासवान ने सभी अटकलों को गलत साबित किया और राजनीति में कुशल रहे अपने पिता रामविलास पासवान की तरह ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
बताते चलें कि इस बार का बिहार का चुनाव रिकॉर्ड मतदान की वजह से बेहद खास हो गया है। इस चुनाव में 67.12 फीसदी मतदान हुआ जो 1951 के बाद से सबसे अधिक है। अहम बात ये भी है कि इस बार 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की ओर से कहीं भी पुनर्मतदान का कई अनुरोध नहीं किया गया।

