बिहार चुनावी रण का बिगुल समस्तीपुर से फूंकते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रचार अभियान की शुरुआत की। मंच पर उनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी मौजूद थे। इस दौरान एक दिलचस्प दृश्य देखने को मिला।
दरअसल जनसभा को संबोधित करने के लिए एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा पोडियम पर सबसे पहले चिराग पासवान का नाम पुकारा गया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इशारा करते हुए पहले नीतीश कुमार को बुलाने को कहा। ऐसा उन्होंने दो बार किया। इसके बाद भाजपा नेता ने नीतीश कुमार का नाम लिया और उनके लिए जयकारे लगवाए। इस पल ने माहौल बदल दिया। मंच पर नीतीश को यह प्राथमिकता मिलते ही उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला और पूरा मैदान नारों से गूंजने लगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली को संबोधित करते हुए जननायक कर्पूरी ठाकुर की धरती से उन्होंने कांग्रेस और राजद पर तीखे हमले किए और दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए इस बार अब तक का सबसे बड़ा जनादेश हासिल करेगा।
‘जब हर हाथ में टॉर्च है, तो लालटेन की क्या जरूरत?’
पीएम मोदी ने लोगों से कहा, “अपने मोबाइल की लाइट जलाइए।” जैसे ही हजारों लोगों ने फ्लैशलाइट ऑन की, मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “जब हर हाथ में लाइट है, तो लालटेन की क्या जरूरत?” पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बज चुका है और पूरा बिहार कह रहा है- ‘फिर एक बार एनडीए सरकार, फिर एक बार सुशासन सरकार, जंगलराज वालों को दूर रखेगा बिहार।’”
रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “राजद और कांग्रेस वाले क्या कह रहे हैं, ये आपको मुझसे ज्यादा पता है। ये वही लोग हैं जो हजारों करोड़ के घोटालों में जमानत पर हैं। कोई चोरी के मामले में बाहर है और अब वही लोग ‘जननायक’ की उपाधि की चोरी में जुटे हैं। बिहार के लोग जननायक कर्पूरी ठाकुर का ये अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
मोदी ने कहा कि बिहार इस बार विकास और सुशासन के रास्ते को चुनेगा। उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव में पूरा बिहार कह रहा है- ‘फिर एक बार एनडीए सरकार, फिर एक बार सुशासन सरकार, जंगलराज वालों को दूर रखेगा बिहार।’
पीएम मोदी ने पिछड़ा कार्ड चला
प्रधानमंत्री ने इस दौरान खुद को और सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर को पिछड़ा कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा, “आज का दिन मेरे जीवन का भी विशेष दिन है। यहां आने से पहले मैं कर्पूरी ग्राम गया था, जहां मुझे भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला। आज हम जैसे गरीब और पिछड़े परिवारों से निकले लोग इसी आशीर्वाद के कारण यहां तक पहुंचे हैं। सामाजिक न्याय और वंचितों के उत्थान में कर्पूरी ठाकुर जी की भूमिका अविस्मरणीय है। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य हमारी सरकार को मिला और यह हमारे लिए गर्व की बात है।”
मोदी ने कहा कि एनडीए ने कर्पूरी ठाकुर के दिखाए रास्ते पर चलकर सुशासन और सामाजिक न्याय को एक साथ जोड़ा है। “हमने गरीबों, दलितों, महादलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों को प्राथमिकता दी है। सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला भी हमारी ही सरकार ने लिया। एनडीए ने एससी-एसटी आरक्षण को 10 साल के लिए आगे बढ़ाया, मेडिकल शिक्षा में गरीब और पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया और ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिलाया। अब गरीब का बेटा अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकता है, यही सच्चा सामाजिक न्याय है।”
नीतीश कुमार ने लालू परिवार पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी फिर लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा, “दो बार उनके साथ गया, दोनों बार गड़बड़ हुई। लालू जी ने बिहार में डर का माहौल बना दिया था। उस दौर में लोग शाम को घर से निकलने से डरते थे।”
नीतीश ने दावा किया कि 2005 के बाद बिहार में कानून का राज स्थापित हुआ और राज्य ने विकास की दिशा में बड़ी छलांग लगाई। हालांकि नीतीश की एक गलती को लेकर उनपर विपक्ष हमलावर हो गया। दरअसल नीतीश ने अपने संबोधन में कहा, “आप सब जानते हैं कि 24 नवंबर 2025 को एनडीए, जदयू, बीजेपी की सरकार बनी थी…जबकि हकीकत यह है कि नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
उनकी इस गलती की सोशल मीडिया पर काफी चर्चाएं हो रही हैं। रैली के बाद आरजेडी समेत विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार की एक गलती को लेकर सोशल मीडिया पर चुटकी ली। किसी ने लिखा- “सीएम को तारीख याद नहीं,” तो किसी ने तंज कसा- “थके हुए हैं नीतीश।”
वहीं जदयू समर्थकों ने इसे मानवीय भूल बताते हुए कहा कि “महत्व तारीख का नहीं, विकास के इरादे का है।” समर्थकों का कहना है कि मुख्यमंत्री लगातार सभाओं और कार्यक्रमों में व्यस्त हैं, ऐसे में ऐसी छोटी गलतियां स्वाभाविक हैं। हालांकि विपक्ष ने इस गलती को कन्फ्यूजन की राजनीति का उदाहरण बताया।

