Wednesday, October 22, 2025
Homeभारतबिहार चुनावः एनडीए-महागठबंधन के लिए सिरदर्द बने 30 से अधिक बागी उम्मीदवार,...

बिहार चुनावः एनडीए-महागठबंधन के लिए सिरदर्द बने 30 से अधिक बागी उम्मीदवार, मुकाबला रोचक

बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने हैं। पहले चरण में 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 122 सीटों पर को वोटिंग होगी। 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। दिलचस्प बात है कि बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं लेकिन महागठबंधन के 255 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पार्टियों ने अपने कई विधायकों को बेटिकट कर दिया है। दूसरे चरण में ऐसी कई सीटें हैं जिनका टिकट कटा तो उन्होंने बागी तेवर अपना लिया। अब वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। ऐसे दृश्य किसी एक पार्टी में नहीं बल्कि अमूमन सभी दलों में दिखाई दे रहे हैं।

पहले चरण में 243 सीटों में से करीब 30 से अधिक बागी और निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। कई ऐसे नेता जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन्होंने या तो प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसी छोटी पार्टियों का दामन थाम लिया है या फिर निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए हैं।

गोपालगंज: विधायक पुत्र ने भरा पर्चा

गोपालगंज की सिटी विधानसभा सीट पर भाजपा के सिटिंग विधायक सुभाष सिंह के बेटे कुशम कुमार सिंह ने बगावत कर दी है। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काट दिया था। इससे नाराज कुशम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, सुभाष सिंह पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं और अमित शाह से मुलाकात के बाद भी मामला सुलझ नहीं सका। अब उनके बेटे कुशम चुनाव मैदान में उतरकर बीजेपी उम्मीदवार को सीधी टक्कर देंगे।

बरौली: जदयू नेता सुधर्शन कुमार नाराज

बरौली विधानसभा क्षेत्र से जदयू नेता सुधर्शन कुमार को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। नाराज़ होकर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर दिया है। सुधर्शन कुमार लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं और पार्टी संगठन में उनकी पकड़ मानी जाती है। उनके समर्थकों का कहना है कि टिकट वितरण में जातीय समीकरणों को तवज्जो दी गई, जबकि जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई है।

बढ़ईरिया: श्याम बहादुर सिंह फिर मैदान में

सिवान जिले की बढ़ईरिया सीट से पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह ने भी इस बार बगावत का रास्ता चुना है। जदयू ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। श्याम बहादुर का कहना है कि वे कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पार्टी ने हमें भले टिकट नहीं दिया, लेकिन जनता के आशीर्वाद से हम फिर सेवा का मौका पाएंगे।” उनकी एंट्री से सियासी मुकाबला बेहद रोचक हो गया है।

पूर्वी चंपारण की सुगौली सीट से मौजूदा विधायक शशिभूषण सिंह और सारण की मरहौरा सीट से एलजेपी (रामविलास) की सीमा सिंह के नामांकन तकनीकी कारणों से रद्द कर दिए गए। शशिभूषण सिंह ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर नामांकन दाखिल किया था, जो इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी है, जबकि एलजेपी (रामविलास) एनडीए का हिस्सा है।

परिहारः राजद की स्मिता पूर्वे के सामने बागी रितु जायसवाल

इस बार रितु जायसवाल का भी राजद ने टिकट काट दिया है। पिछली बार रितु जायसवाल सीतामढ़ी की परिहार से राजद की उम्मीदवार थी और भाजपा की गायत्री देवी को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार राजद ने उन्हें बेलसंड सीट पर लड़ने को कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि परिहार मेरी आत्मा है। रितु जायसवाल ने कहा कि राजद ने जिन स्मिता पूर्वे को टिकट दिया है वह कभी जीत नहीं सकती। बता दें कि स्मिता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पुर्वे की बहू हैं। गायत्री परिहार की सीटिंग विधायक हैं। एक सभा में रितु जायसवाल ने कहा कि इस लाचार विधायक को रखकर क्या करेंगे जिसकी बात सीओ भी नहीं मानती है।

गौरा बोराम सीट महागठबंधन के लिए सिरदर्द

दरभंगा की गौरा बोराम सीट महागठबंधन के लिए सिरदर्द बन गई है। सीट बंटवारे से पहले यहां राजद ने अपने स्थानीय नेता अफसर अली खान को टिकट दे दिया। लेकिन सीट बंटवारे में यह सीट वीआईपी के हिस्से चली गई। वीआईपी के संतोष सहनी उम्मीदवार बने। अफसर अली खान ने अपना नाम वापस लेने से इनकार कर दिया और निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया। वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि सीट पर महागठबंधन का ही उम्मीदवार है।

कसबा से कांग्रेस विधायक आफाक आलम निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। बहादुरगंज से कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन भरे जाने के बावजूद राजद के सिटिंग विधायक अंजार नईमी ने भी पर्चा भर दिया है। इसी तरह कहलगांव के विधायक पवन यादव टिकट कटने के बाद बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं।

बागी गोपाल मंडल के सामने जदयू के बुलो मंडल

जदयू के लिए भी बागी मुसीबत बन गए हैं। गोपाल मंडल सीएम आवास के बाहर अपने तेवर दिखा चुके हैं। भागलपुर के गोपालपुर से चार बार के विधायक रह चुके गोपाल मंडल इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एनडीए के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं। जदयू ने यहां से बुलो मंडल को प्रत्याशी बनाया है। गोपाल मंडल ने कहा कि मैंने 30 साल के अंदर कोई गलत काम नहीं किया है। ना ही गलत करूंगा।

वहीं बिहार के पूर्व मंत्री और जदयू नेता जयसिंह अपनी नाराजगी जता चुके हैं। जय कुमार ने पैसे से टिकट बांटे जाने का आरोप लगाया है। आरोपों के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए को सबक सिखाने के लिए मैदान में उतरे हैं। जयकुमार सिंह रोहतास के दिनारा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। मीडिया से बात करते हुए जयकुमार सिंह ने कहा कि कुछ मामला स्वाभिमान का था और कुछ मामला सिद्धांत का था। और सिद्धांत टकराया तो ये नतीजा निकला। बता दें कि दिनारा से एनडीए ने आलोक सिंह का प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा-जदूय के ये प्रत्याशी भी आमने-सामने

इसी तरह, भाजपा विधायक रश्मि वर्मा भी नरकटियागंज से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। पटना की कई सीटों- दिघा, पटना साहिब, कुंभारार, मनेर, पालीगंज, दानापुर, बिक्रम और बाढ़ में एनडीए के भीतर टकराव देखने को मिल रहा है। दिघा में बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया के सामने जदयू के बागी नेता रितेश रंजन सिंह (जन सुराज पार्टी) और सीपीआई(एमएल) लिबरेशन की दिव्या गौतम मुकाबले में हैं।

पारू से चार बार के भाजपा विधायक रहे अशोक कुमार सिंह भी निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं। भाजपा ने अशोक का टिकट काटकर रालोमो के मदन चौधरी को दे दी है। इसी तरह पटना साहिब से भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य रहे शिशिर कुमार निर्दलीय मैदान में हैं। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यहां से भाजपा ने रत्नेश कुशवाहा को मैदान में उतारा है।

बिहार के कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी नेताओं ने टिकट न मिलने पर पार्टी लाइन से अलग रास्ता अपना लिया है।

बखरी और महनार दोनों सीटों से राजद के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार और अच्युतानंद सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा है। जगदीशपुर के पूर्व विधायक के पुत्र किशोर कुमार सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी है। इसी तरह से सोनबरसा से जदयू के सक्रिय कार्यकर्ता सूर्यनाथ सिंह निर्दलीय मैदान में हैं। भभुआ के पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रानी कुमारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकी है। नालंदा से भाजपा कार्यकर्ता प्रमोद कुमार ने पार्टी टिकट न मिलने पर निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने हैं। पहले चरण में 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 122 सीटों पर को वोटिंग होगी। 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं,जिनमें करीब 3.92 करोड़ पुरुष, 3.50 करोड़ महिलाएं, और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। दिलचस्प बात है कि बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं लेकिन महागठबंधन के 255 उम्मीदवार मैदान में हैं।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा