पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। इसके साथ ही हर पार्टी की ओर से बिछाई गई चुनावी बिसात भी साफ हो गई है। बिहार के चुनाव में हर बार हार-जीत को लेकर जातीय समीकरण की भूमिका की बात खूब होती है। इस बार भी इसे लेकर चर्चा हो रही है। पार्टियां जातीय समीकरण को कैसे साधने की कोशिश करती हैं, इसकी झलक टिकट बंटवारे में भी दिख रही है।
मसलन राजद ने एक बार फिर अपने MY (मुस्लिम, यादव) समीकरण पर भरोसा जताया है। साथ ही पार्टी ‘PDA रणनीति’ (पिछड़, दलित, अल्पसंख्यक) पर भी दांव खेलती नजर आ रही है, जिसकी चर्चा पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान काफी हुई थी। दूसरी ओर एनडीए में भाजपा और जदयू सहित दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों की लिस्ट में भी जातीय समीकरण को साधने की कोशिश नजर आती है। आखिर किस पार्टी ने किस जाति, धर्म के उम्मीदवारों को कितना टिकट दिया, आईए इसे विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
एनडीए में विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों का जातीय समीकरण
एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल हैं। जाहिर तौर पर इसमें भाजपा और जदयू पर सभी की नजर है। दोनों पार्टियां गठबंधन के तहत 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
नीतीश कुमार की जदयू ने खासकर पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग वाले समीकरण को साधने की कोशिश की है। पार्टी ने पिछड़ा वर्ग (यादव, कुशवाहा, कुर्मी, केवट, बिंद आदि) के 37 और अति पिछड़ा के 22 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। वहीं, सामान्य या ऊंची जाति वाले वर्ग (राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ) से 22 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।
दूसरी ओर भाजपा के 101 उम्मीदवारों की बात करें तो सामान्य वर्ग से 49 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा 24 उम्मीदवार पिछड़ा वर्ग से और 16 अति पिछड़ा वर्ग से हैं। भाजपा ने अनुसूचित जाति में सबसे अधिक टिकट पासवान जाति (7 उम्मीदवार) को दिया है। इसके अलावा रविदास जाति से तीन और मुसहर जाति से एक उम्मीदवार है। भाजपा से अनुसूचित जनजाति का भी एक उम्मीदवार मैदान में है। जदयू की लिस्ट में 4 मुस्लिम उम्मीदवार भी हैं। जदयू की लिस्ट में कुल 13 महिला उम्मीदवार हैं।
पार्टी | कितने सीट पर दावेदारी | ब्राह्मण | भूमिहार | राजपूत | कायस्थ | ओबीसी | ईबीसी | दलित | आदिवासी |
जदयू | 101 | 2 | 9 | 10 | 1 | 37 | 22 | 15 | 1 |
भाजपा | 101 | 11 | 16 | 21 | 1 | 24 | 16 | 11 | 1 |
लोजपा (R) | 29 | 1 | 4 | 5 | 0 | 5 | 5 | 8 | 0 |
हम | 6 | 0 | 2 | 0 | 0 | 0 | 0 | 4 |
चिराग पासवान की एलजेपी ने भी सभी 29 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। पार्टी ने 5 राजपूत, 5 यादव, 4 पासवान, 4 भूमिहार और 1 ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट दिया है। एक मुस्लिम उम्मीदवार भी है। इसके अलावा बाकी कुछ अन्य जातियों से 1-1 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) ने एक-एक टिकट भूमिहार और राजपूत उम्मीदवार को दिया है। साथ ही तीन टिकट कुशवाहा और एक टिकट वैश्य उम्मीदवार को दिया गया है।
महागठबंधन में उम्मीदवारों का जातीय समीकरण
महागठबंधन में सबसे पहले बात राजद की करते हैं। बिहार चुनाव में महागठबंधन में सीटों की रस्साकशी खूब नजर आई। आलम ये रहा कि दूसरे चरण (11 नवंबर) के मतदान के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर (सोमवार) को राजद ने 143 उम्मीदवारों की अपनी पूरी लिस्ट आधिकारिक तौर पर जारी की। इससे पहले हालांकि, पार्टी कई प्रत्याशियों को सिंबल बांट चुकी थी। साथ ही पहले चरण (6 नवंबर) में होने वाले मतदान के लिए उसके उम्मीदवारों ने पिछले हफ्ते ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया था।
राजद इस बार 143 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2020 में ये संख्या 144 थी। पार्टी ने इस बार अपने 36 उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं। यानी इनकी जगह नए चेहरे को मौका दिया गया है। इसके अलावा पार्टी ने इस बार 24 महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जो एक अहम बात है।
अब जातीय समीकरण की बात करें तो राजद के 143 उम्मीदवारों में 52 यादव हैं, जबकि 18 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इसके अलावा पार्टी ने 13 टिकट कुशवाहा जाति और दो टिकट कुर्मी जाति के उम्मीदवारों को दिया है। ये दोनों जातियां पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार यानी जदयू का वोट बैंक मानी जाती हैं। इसके अलावा पार्टी ने 16 उच्च जाति माने जाने वाले उम्मीदवारों को भी शामिल किया गया है। इनमें राजपूत, भूमिहार और ब्राह्मण शामिल हैं। इसके अलावा 21 उम्मीदवार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से भी हैं। अत्यधिक पिछड़ा वर्ग से भी 21 उम्मीदवार हैं।
बात कांग्रेस की करें तो उसने कुल 61 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है। महागठबंधन के तहत सीट शेयरिंग पर बात फाइनल नहीं होने के बाद कांग्रेस ने तीन चरणों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। पहले चरण में पार्टी ने 48 नामों की घोषणा की थी। इसके बाद पार्टी ने और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। कांग्रेस ने पिछली बार राजद के साथ मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 पर उसे जीत मिली।
बहरहाल, कांग्रेस के जातीय समीकरण की बात करें तो पार्टी ने 19 सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग से 12 उम्मीदवार हैं। 6 अति पिछड़े वर्ग से, 9 दलित, 1 अनुसूचित जनजाति और 8 मुस्लिम उम्मीदवार भी हैं।
पार्टी | कुल सीट | ब्राह्मण | भूमिहार | राजपूत | कायस्थ | ओबीसी | ईबीसी | दलित | आदिवासी |
राजद | 143 | 3 | 6 | 7 | 0 | 67 | 21 | 20 | 1 |
कांंग्रेस | 61 | 7 | 8 | 5 | 0 | 12 | 5 | 10 | 1 |
वामपंथी दल | 29 | 0 | 2 | 1 | 0 | 15 | 1 | 8 | 0 |
महागठबंधन में ही वामपंथी दल 29 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से 15 टिकट ओबीसी उम्मीदवारों को, 1 ईबीसी उम्मीदवार को, 8 एससी उम्मीदवारों को, 2 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को, 2 भूमिहारों को और 1 राजपूत उम्मीदवार को आवंटित की गई हैं। पार्टियों के हिसाब से देखें तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) 10 सीटों पर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) 6 सीटों पर और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने सबसे ज्यादा निषाद जाति (अति पिछड़ा वर्ग/ईबीसी) के 7 लोगों को टिकट दिया है। पार्टी ने चुनाव में कुल 15 उम्मीदवार उतारे हैं। निषाद जाति के अलावा 3 यादव, 2 राजपूत, मुसहर, कुर्मी, अग्रहरि वैश्य से एक-एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है।
पीके की जन सुराज का सुर क्या है?
प्रशांत किशोर की नई ‘जन सुराज पार्टी’ भी चुनावी मैदान में है। पार्टी ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। हालांकि, तीन सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों (गोपालगंज, ब्रह्मपुर और दानापुर सीट) ने नामांकन नहीं किया। प्रशांत किशोर ने इसके लिए भाजपा की ओर से ‘उम्मीदवारों पर दबाव’ डालने और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। बहरहाल, दूसरे चरण के लिए भी नामांकन की तारीख (20 अक्टूबर) खत्म हो गई है।
वाल्मीकिनगर से भी पार्टी के उम्मीदवार दीर्घ नारायण का नामांकन रद्द होने की सूचना है। ऐसे में जन सुराज 239 सीटों पर चुनाव लड़ सकेगी।
पार्टी की ओर से जारी लिस्ट में भी कई जगहों पर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश नजर आती है। पार्टी ने 116 की शुरुआती लिस्ट में अति पिछड़ा वर्ग सहित ओबीसी, दलित पर खास ध्यान दिया था। पार्टी की ओर से अति पिछड़ा वर्ग से 31 उम्मीवारों को टिकट मिला है। अन्य पिछड़ा वर्ग से 21 उम्मीदवार हैं। बता दें कि ये आंकड़े बदले हुए हो सकते हैं। जनसुराज ने दावा किया है कि ‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी’ के आधार पर टिकट बांटा गया है। कुछ सीटें मसलन नाथनगर और गोपालपुर ऐसी भी हैं, जहां से पार्टी ने जाति बहुलता से इतर हटकर दूसरी जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है।