पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election) के पहले चरण का मतदान आज हो रहा है। इसमें 18 जिलों के 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। इनमें कुछ सीटें ऐसी हैं, जिस पर महागठबंधन और एनडीए की कड़ी नजर होगी। दरअसल ये वे सीटें हैं जहां 2020 के चुनाव में जीत का अंतर काफी कम रहा था। वैसे, कुल मिलाकर देखें तो पिछले चुनाव में 52 ऐसी सीटें थीं, जहां हार-जीत का अंतर 5000 वोटों से कम था। इसमें 12 सीटें ऐसी थी, जहां अंतर 1000 (कुछ में 100 से भी कम) से भी कम अंक में रहा। इस लिहाज से इस बार भी ये सीटें अहम मानी जा रही हैं।
पांच साल पहले हुए बिहार चुनाव में महागठबंधन और एनडीए में कड़ी टक्कर हुई थी। उसमें राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। एनडीए कुल मिलाकर 125 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में वापसी में कामयाब रहा। जबकि महागठबंधन 110 सीटें मिली। इस लिहाज से देखें तो उन 52 सीटों का महत्व काफी बढ़ जाता है, जहां जीत का अंतर 5000 से कम रहा।
बिहार की वो 52 सीटें…किसके खाते में कितनी गई?
5000 से कम अंतर वाली 52 सीटों को देखें तो इसमें लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 15, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 13 और भाजपा ने नौ सीटें जीती थीं। एलजेपी (आर), जो पिछले चुनाव में अकेले उतरी थी और इस बार एनडीए के साथ है, उसने एक सीट पर जीत हासिल की थी। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के खाते में भी एक सीट आई थी। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (तब एनडीए के साथ, अब महागठबंधन में) ने दो सीटें जीती थी।
सबसे कम अंतर नालंदा जिले की हिलसा सीट पर था, जहाँ जदयू ने सिर्फ 12 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार पहले चरण में हिलसा में भी मतदान हो रहा है। इसके अलावा मटिहानी, बछवाड़ा, कुरहनी, बरबीघा और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट बखरी में भी यही स्थिति है, जहां विजेताओं की जीत का अंतर सबसे कम रहा।
जदयू ने शेखपुर जिले के बरबीघा में 133 वोटों से जीत हासिल की थी। कैमूर के रामगढ़ में हार-जीत का तीसरा सबसे कम अंतर दर्ज किया गया, जहाँ राजद ने बसपा उम्मीदवार को 189 वोटों से हराया था।
ऐसे ही गोपालगंज जिले की एससी-आरक्षित भोरे सीट पर, जेडी(यू) उम्मीदवार ने सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार को 462 मतों से हराया था। रोहतास जिले की डेहरी में भाजपा उम्मीदवार को राजद उम्मीदवार से 464 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।
इसके अलावा बछवाड़ा (बेगूसराय जिला) में भाजपा ने सीपीआई उम्मीदवार को केवल 484 मतों से हराया था। चकई (जमुई जिला) में, एक निर्दलीय ने राजद उम्मीदवार को 581 मतों से, जबकि कुरहनी (मुजफ्फरपुर) और बखरी (बेगूसराय) में भाजपा को राजद और सीपीआई से क्रमशः 712 और 777 मतों से हार मिली थी। परबत्ता सीट (खगड़िया) में जदयू उम्मीदवार ने राजद को 951 मतों से हराया था।
52 विधानसभा क्षेत्र जहां जीत का अंतर 5000 वोटों से कम रहा
- भोरे- 462 वोटों का अंतर
- मटिहानी- 333
- चकई- 581
- झांझा- 1679
- रानीगंज- 2304
- औरंगाबाद- 2243
- अमरपुर- 3134
- बेलहार- 2473
- धौरइया- 2687
- बछवाड़ा- 484
- बखरी- 777
- बेगूसराय- 4554
- भागलपुर- 1113
- आरा- 3002
- बड़हरा- 4973
- बक्सर- 3892
- अलीनगर- 3101
- बहादुरपुर- 2629
- दरभंगा ग्रामीण- 2141
- बोध गया- 4708
- टिकारी- 2630
- रामगढ़- 189
- प्राणपुर- 2972
- अलौली- 2773
- खगड़िया- 3000
- परबत्ता- 951
- किशनगंज- 1381
- जमालपुर- 4432
- मुंगेर- 1244
- कुरहनी- 712
- सकरा- 1537
- हिलसा- 12
- इस्लामपुर- 3698
- सिक्ता- 2302
- कल्याणपुर- 1193
- सुगौली- 3447
- डेहरी- 464
- करगहर- 4083
- महिषी- 1630
- सिमरी बख्तियारपुर- 1759
- समस्तीपुर- 4714
- सरायरंजन- 3624
- अमनौर- 3681
- बरबीघा- 113
- बजपत्ती- 2704
- परिहार- 1569
- बड़हड़िया- 3559
- महाराजगंज- 1976
- सिवान- 1973
- त्रिवेणीगंज- 3031
- हाजीपुर- 2990
- राजापाकर- 1796

