बेंगलुरु: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार द्वारा बेंगलुरु के लिए 613 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सड़क साफ करने वाली 46 मशीनों को किराये पर लेने का फैसला विवादों में आ गया है। विपक्षी नेताओं सहित आम लोगों की ओर से भी इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं सोशल मीडिया पर सरकार के फैसले की व्यापक आलोचना हो रही है।
कर्नाटक भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि उसने एक अत्यधिक महंगी और बेहद संदिग्ध परियोजना को मंजूरी दी है। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को सात साल की अवधि के लिए 46 सड़क सफाई वाहनों को किराए पर लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
भाजपा लगा रही भ्रष्टाचार का आरोप
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने एक्स पर राज्य सरकार पर एक ऐसे सौदे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया जिससे इस बात पर ‘गंभीर संदेह’ पैदा होता है कि आखिर इन बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए आँकड़ों से किसे फायदा होगा। उन्होंने लिखा, ‘एक सेल्फ-प्रोपेल्ड रोड स्वीपर की कीमत लगभग 50 से 80 लाख होती है, यानी 46 मशीनों की कीमत लगभग 37 से 38 करोड़ रुपये होगी। अगर नगर निगम 46 ड्राइवरों और 100 हेल्परों को 7 साल तक वेतन भी दे, तो भी कुल खर्च लगभग 60 से 70 करोड़ ही होगा।’
उन्होंने लिखा, ‘मशीनों, मानव संसाधन और रखरखाव को जोड़ने के बाद भी, कुल लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। फिर भी सरकार 613 करोड़ खर्च कर रही है। इससे गंभीर संदेह पैदा होता है कि शेष 500 करोड़ कहाँ जा रहे हैं और इस बढ़े हुए खर्च से किसे फायदा हो रहा है। मैं सरकार से आग्रह करती हूँ कि वह इस प्रस्ताव को तुरंत वापस ले और कर्नाटक के लोगों के लिए पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करें।’
दूसरी ओर भाजपा तेलंगाना के वाइस प्रेसिडेंट शांति कुमार ने लिखा, ‘केवल कांग्रेस ही कूड़ा सफाई को बिचौलियों के लिए सोने की खान बना सकती है। कर्नाटक में उन्होंने सात साल के लिए सिर्फ 46 सफाई मशीनों के लिए 613 करोड़ रुपये के ‘किराये’ का समझौता किया है, जो कि एक आलीशान विमान के लिए ठीक है, नगरपालिका के उपकरणों के लिए नहीं।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘ये गणित इस घोटाले का पर्दाफाश करता है- प्रत्येक सफाई मशीन की कीमत 2.5 करोड़ रुपये है। सभी 46 मशीनों के मालिक होने पर कुल 115 करोड़ खर्च होंगे, और सात साल में सभी परिचालन लागतों के साथ, परियोजना अभी भी 200 करोड़ से अधिक नहीं होगी। कांग्रेस ने लागत को कृत्रिम रूप से 400 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ा दिया है। यह इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि वे सरकारी खजाने को कैसे लूटते हैं।’
कई लोगों ने भी इस प्रस्ताव की आलोचना की और सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया। इस परियोजना को लेकर एक व्यंग्यात्मक ग्राफिक मीम सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसमें दर्शाया गया है कि जेट विमान खरीदने की बात हो रही है और कैप्शन में लिखा है, ’20 करोड़ रुपये में क्यों खरीदना…जब आप 613 करोड़ रुपये में इसे किराए पर ले सकते हैं?’
एक यूजर ने इस प्रस्ताव में खर्च किए जा रहे पैसों को लेकर सवाल उठाते हुए लिखा, ’46 मशीनें 613 करोड़ में किराए पर? प्रति मशीन सिर्फ एक साल के किराए के लिए 2 करोड़। मशीनों की असल कीमत कितनी होगी?’ एक यूजर ने टिप्पणी की, ‘इससे करदाताओं का पैसा बर्बाद होता है।’

