नई दिल्लीः शेख हसीना की सत्ता से विदाई और जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव के बाद बांग्लादेश में आतंकवादी संगठनों को खुली छूट मिल गई है। जेलों में बंद कई कट्टरपंथियों को रिहा कर दिया गया है और उन्हें खुलकर काम करने की अनुमति दी गई है। इस बीच भारत की खुफिया एजेंसियों ने इन आतंकी संगठनों के देश में बड़ी घुसपैठ की योजना के मद्देनजर अलर्ट जारी किया है।
भारतीय एजेंसियों ने हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में सक्रिय आतंकियों और भारत में उनके सप्लायर व फाइनेंसरों के बीच संदिग्ध बातचीत को इंटरसेप्ट किया है। यह संकेत है कि भारत में बड़े पैमाने पर घुसपैठ की योजना पर काम चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, इन संगठनों के सदस्य इतने निडर हो गए हैं कि वे अब खुलेआम मीटिंग कर रहे हैं, जबकि बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियां जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने क्या कहा है?
इंटेलिजेंस एजेंसियों ने बताया कि जहां एक ओर पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, वहीं पश्चिम बंगाल की सीमा पर भी नजर तेज कर दी गई है।
विशेष रूप से दक्षिण 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरभूम और मालदा जिले सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं। ये इलाके लंबे समय से बांग्लादेशी आतंकियों के लिए सुरक्षित मार्ग और ठिकाने माने जाते रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अब इन बांग्लादेशी आतंकी समूहों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि इन संगठनों ने पश्चिम बंगाल में स्थानीय मॉड्यूल और एजेंटों का नेटवर्क तैयार कर रखा है, जो घुसपैठ के अलावा फेक करेंसी और ड्रग्स तस्करी में भी शामिल हैं।
इन नेटवर्क के जरिए पिछले कुछ सालों में भारी रकम जुटाई गई है, जिसकी वजह से इनके कई सदस्य स्थानीय प्रभावशाली लोगों और तंत्र से जुड़े हुए हैं। इसी राजनीतिक और सामाजिक संरक्षण ने इन्हें अब तक बेखौफ बनाए रखा है।
माओवादियों से संपर्क की भी आशंका
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसियों को इस बात के भी संकेत मिले हैं कि कुछ फरार नक्सलियों से संपर्क साधने की कोशिश हो रही है। पश्चिम बंगाल में नक्सल आंदोलन की जड़ें पुरानी हैं, और कई वांछित नक्सली आज भी छिपे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये आतंकी समूह उनसे लॉजिस्टिक सपोर्ट और स्थानीय जानकारी हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं।
पहले इन आतंकियों की योजना पूर्वोत्तर सीमाओं से घुसपैठ की थी, लेकिन अब उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीमा को प्राथमिकता दी है। वर्षों से इन इलाकों में सक्रिय मॉड्यूल अब पूरी तरह सक्रिय किए जा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की सीमाएं लंबे समय से घुसपैठ और अवैध गतिविधियों के लिए संवेदनशील रही हैं। बीएसएफ के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में 2,688 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा या वापस भेजा गया, जिनमें से अकेले दक्षिण बंगाल में 2,410 और उत्तर बंगाल में 278 मामले दर्ज किए गए।
बांग्लादेश में उग्रवाद को मिली खुली छूट
शेख हसीना के हटने के बाद अंतरिम सरकार के तौर पर मुहम्मद यूनुस के कार्यभार संभालने के बाद कट्टरपंथी गुटों को खुला मैदान मिल गया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि ISI ने बांग्लादेश को अपने ऑपरेशन बेस की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। कई रिटायर्ड पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को आतंकी प्रशिक्षण के लिए भेजा गया, और सभी प्रमुख संगठनों को एकजुट होकर काम करने का निर्देश दिया गया।
इनमें हरकत-उल-जिहादी इस्लामी, अंसारुल्लाह बंगला टीम, जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे संगठन शामिल हैं। आईएसआई का मानना है कि इन संगठनों को एक मंच पर लाकर वैचारिक मतभेदों और इलाके की लड़ाइयों को खत्म किया जा सकता है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इन सभी संगठनों के पश्चिम बंगाल में मजबूत नेटवर्क हैं और अब इन्हें आईएसआई द्वारा सक्रिय होने के निर्देश दिए गए हैं। सीमा पार बांग्लादेश की तरफ भी गतिविधियां तेज हुई हैं, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि भारत में आतंकी घुसपैठ की नई योजनाएं बनाई जा रही हैं।

