Thursday, November 6, 2025
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बिहार की इन 52 सीटों पर सभी की नजर, वजह बड़े चेहरे नहीं…2020 के नतीजे हैं!

साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 52 ऐसी सीटें थी, जहां जीत का अंतर 5000 वोटों से कम रहा। कुछ सीटों पर तो ये अंतर 1000 और यहां तक 100 से भी कम रहा था। 5000 से कम अंतर वाली सीटों को देखें तो इसमें राजद ने 15, जदयू ने 13 और भाजपा ने नौ सीटें जीती थीं।

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election) के पहले चरण का मतदान आज हो रहा है। इसमें 18 जिलों के 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। इनमें कुछ सीटें ऐसी हैं, जिस पर महागठबंधन और एनडीए की कड़ी नजर होगी। दरअसल ये वे सीटें हैं जहां 2020 के चुनाव में जीत का अंतर काफी कम रहा था। वैसे, कुल मिलाकर देखें तो पिछले चुनाव में 52 ऐसी सीटें थीं, जहां हार-जीत का अंतर 5000 वोटों से कम था। इसमें 12 सीटें ऐसी थी, जहां अंतर 1000 (कुछ में 100 से भी कम) से भी कम अंक में रहा। इस लिहाज से इस बार भी ये सीटें अहम मानी जा रही हैं।

पांच साल पहले हुए बिहार चुनाव में महागठबंधन और एनडीए में कड़ी टक्कर हुई थी। उसमें राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। एनडीए कुल मिलाकर 125 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में वापसी में कामयाब रहा। जबकि महागठबंधन 110 सीटें मिली। इस लिहाज से देखें तो उन 52 सीटों का महत्व काफी बढ़ जाता है, जहां जीत का अंतर 5000 से कम रहा।

बिहार की वो 52 सीटें…किसके खाते में कितनी गई?

5000 से कम अंतर वाली 52 सीटों को देखें तो इसमें लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 15, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 13 और भाजपा ने नौ सीटें जीती थीं। एलजेपी (आर), जो पिछले चुनाव में अकेले उतरी थी और इस बार एनडीए के साथ है, उसने एक सीट पर जीत हासिल की थी। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के खाते में भी एक सीट आई थी। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (तब एनडीए के साथ, अब महागठबंधन में) ने दो सीटें जीती थी।

सबसे कम अंतर नालंदा जिले की हिलसा सीट पर था, जहाँ जदयू ने सिर्फ 12 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार पहले चरण में हिलसा में भी मतदान हो रहा है। इसके अलावा मटिहानी, बछवाड़ा, कुरहनी, बरबीघा और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट बखरी में भी यही स्थिति है, जहां विजेताओं की जीत का अंतर सबसे कम रहा।

जदयू ने शेखपुर जिले के बरबीघा में 133 वोटों से जीत हासिल की थी। ​​कैमूर के रामगढ़ में हार-जीत का तीसरा सबसे कम अंतर दर्ज किया गया, जहाँ राजद ने बसपा उम्मीदवार को 189 वोटों से हराया था।

ऐसे ही गोपालगंज जिले की एससी-आरक्षित भोरे सीट पर, जेडी(यू) उम्मीदवार ने सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार को 462 मतों से हराया था। रोहतास जिले की डेहरी में भाजपा उम्मीदवार को राजद उम्मीदवार से 464 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।

इसके अलावा बछवाड़ा (बेगूसराय जिला) में भाजपा ने सीपीआई उम्मीदवार को केवल 484 मतों से हराया था। चकई (जमुई जिला) में, एक निर्दलीय ने राजद उम्मीदवार को 581 मतों से, जबकि कुरहनी (मुजफ्फरपुर) और बखरी (बेगूसराय) में भाजपा को राजद और सीपीआई से क्रमशः 712 और 777 मतों से हार मिली थी। परबत्ता सीट (खगड़िया) में जदयू उम्मीदवार ने राजद को 951 मतों से हराया था।

52 विधानसभा क्षेत्र जहां जीत का अंतर 5000 वोटों से कम रहा

  1. भोरे- 462 वोटों का अंतर
  2. मटिहानी- 333
  3. चकई- 581
  4. झांझा- 1679
  5. रानीगंज- 2304
  6. औरंगाबाद- 2243
  7. अमरपुर- 3134
  8. बेलहार- 2473
  9. धौरइया- 2687
  10. बछवाड़ा- 484
  11. बखरी- 777
  12. बेगूसराय- 4554
  13. भागलपुर- 1113
  14. आरा- 3002
  15. बड़हरा- 4973
  16. बक्सर- 3892
  17. अलीनगर- 3101
  18. बहादुरपुर- 2629
  19. दरभंगा ग्रामीण- 2141
  20. बोध गया- 4708
  21. टिकारी- 2630
  22. रामगढ़- 189
  23. प्राणपुर- 2972
  24. अलौली- 2773
  25. खगड़िया- 3000
  26. परबत्ता- 951
  27. किशनगंज- 1381
  28. जमालपुर- 4432
  29. मुंगेर- 1244
  30. कुरहनी- 712
  31. सकरा- 1537
  32. हिलसा- 12
  33. इस्लामपुर- 3698
  34. सिक्ता- 2302
  35. कल्याणपुर- 1193
  36. सुगौली- 3447
  37. डेहरी- 464
  38. करगहर- 4083
  39. महिषी- 1630
  40. सिमरी बख्तियारपुर- 1759
  41. समस्तीपुर- 4714
  42. सरायरंजन- 3624
  43. अमनौर- 3681
  44. बरबीघा- 113
  45. बजपत्ती- 2704
  46. परिहार- 1569
  47. बड़हड़िया- 3559
  48. महाराजगंज- 1976
  49. सिवान- 1973
  50. त्रिवेणीगंज- 3031
  51. हाजीपुर- 2990
  52. राजापाकर- 1796
विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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